एक कप्तान जिसे टीम इंडिया की कमान उस वक्त सौंपी गई जब टीम अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही थी। उस कप्तान ने टीम को संभाला, मुश्किल परिस्थितियों से बाहर निकाला और चैंपियन बनाने की राह पर दौड़ा दिया। वो कप्तान जिसने युवाओं पर भरोसा दिखाया, उन्हें मौके दिए और भारतीय क्रिकेट के भविष्य के लिए तराशा। वो बाएं हाथ का खब्बू बल्लेबाज, जिसके सामने स्पिनर गेंदबाजी करने से खौफ खाते थे। एक ऐसा कप्तान जो अपने फैसले से खेल को बदल देता, उस खिलाड़ी और कप्तान का नाम है सौरव गांगुली। दादा के नाम से मशहूर सौरव गांगुली का आज जन्मदिन है।
टी-शर्ट उतारने का अफसोस
वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह, जहीर खान, महेंद्र सिंह धोनी बस आप नाम लेते जाइए टीम इंडिया के ऐसे सितारे खिलाड़ियों को गांगुली ने संवारा है। यूं तो दादा के कई किस्से हैं, लेकिन सबसे चर्चित है, लॉर्ड्स की बालकनी में उनका टी शर्ट उतारकर लहरना। सौरव ने इसके बारे में खुद ही खुलासा किया कि आखिर क्यों उन्होंने टी शर्ट उतारी थी।
सौरव ने अपनी आत्मकथा ‘ए सेंचुरी इज नॉ़ट एनफ’ में इसका जिक्र करते हुए लिखा है कि, साल 2002 के नेटवेस्ट सीरीज के फाइनल मैच में जीत को लेकर टीम काफी उत्साहित थी और जैसे ही जहीर खान ने विनिंग शॉट लगाया मैं अपने आपको रोक नहीं सका और टी-शर्ट उतारकर लहराने लगा। हालांकि गांगुली ने कहा कि जीतने के बाद टी-शर्ट उतारकर सेलिब्रेट करना सही नहीं था। जीत का जश्न मनाने के लिए और भी कई तरीके थे।
गांगुली ने क्यों किया था ऐसा
गांगुली ने लॉर्ड्स की बालकनी से अपनी टी-शर्ट उतारकर एंड्र्यू फ्लिंटॉफ को जवाब दिया था। गांगुली ने बताया कि जब 2002 में इंग्लैंड की टीम भारत आई थी, तो एंड्र्यू फ्लिंटॉफ ने मुंबई के वानखेड़े में सीरीज जीतने के बाद अपनी टी शर्ट उतारकर मैदान का चक्कर लगाया था। इसके बाद लॉर्ड्स में फाइनल मुकाबला जीतने के बाद मैंने भी कुछ ऐसा ही किया। मगर इसके बाद मुझे काफी पछतावा हुआ और मुझे आज तक इस बात का अफसोस है। खुशी जाहिर करने के और भी तरीके थे, लेकिन क्रिकेट का जुनून मुझ पर इस कदर हावी था कि मैंने फ्लिंटॉफ को उन्हीं के अंदाज में जवाब देना बेहतर समझा।