बालोद पुरूर के थाना प्रभारी शिशुपाल को मिलेगा राष्ट्रपति वीरता पदक
आज पूरा देश आजादी की 78वीं वर्षगांठ पूरे धूमधाम से मना रहे हैं, लेकिन इस आजादी को हासिल करने हमारे देश के कई वीर सपूतों ने अपनी जान गंवाई है। वही आज भी देश के चाहे बाहरी सीमा हो या आंतरिक सीमा में हमारी सुरक्षा के लिए अपनी जान हथेली में लेकर जवान तैनात हैं और इन्हीं के चलते आज हम खुद को आजाद महसूस कर पा रहे हैं। आज हम ऐसे ही एक जांबाज पुलिस अफसर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपनी 13 साल की सर्विस में 12 साल नक्सली क्षेत्र में अपनी सेवा दी और इस क्षेत्र में इनके कारनामे को लेकर इनका चयन राष्ट्रपति वीरता पदक के लिए हुआ है।
जी हां हम बात कर रहे हैं बालोद जिले के पुरूर थाना में पदस्थ पुरुर थाना प्रभारी शिशुपाल सिन्हा की जिनका चयन राष्ट्रपति वीरता पदक के लिए हुआ है। यह पदक उनको 12 साल नक्सली क्षेत्र बस्तर में निडरतापूर्वक कार्य करने, बड़े बड़े नक्सली ऑपरेशन को सफल अंजाम देने और झीरम घाटी में नक्सली कमाण्डर को मार गिराने का परिणाम है। यह पदक उन्हें आने वाले 26 जनवरी 2025 को मिलेगा।
आप को बता दे कि उप निरीक्षक पद पर छत्तीसगढ़ पुलिस में भर्ती हुए शिशुपाल सिन्हा की पहली पदस्थापना बस्तर के सुकमा जिले के सघन नक्सल प्रभावित क्षेत्र गोलापल्ली में हुई।जहां वो 2012 से 2013 तक रहे, फिर 2013 से 2016 तक तोंगपाल में रहे। उसके बाद डीआरजी कमांडर सुकमा में 2016 से 2018 तक, डीआरजी कमांडर 2018 से 2020 तक बस्तर जिले में रहे। उसके बाद फिर 2020 से 2023 तक दरभा थाना प्रभारी रहे जिसके बाद उन्हें मैदानी इलाका बालोद जिला भेजा गया। इन 12 साल में लगातार नक्सलियों से कई बार मुठभेड़ भी हुई। जिसमें उनकी भूमिका प्रमुख रही। 30 जून 2021 को जब सूचना मिली कि झीरम घाटी में बहुत से नक्सलीयों की हलचल है। जहां शिशुपाल अपने पुलिस कप्तान के आदेश के बाद निडर होकर झीरम की तरफ अपने सिर्फ 8 सहयोगियों के साथ निकल गए और बैकप फोर्स के आने का इंतजार किए। कहीं नक्सली भाग मत जाए, इस बीच मुठभेड़ हो गई। जहां एक नक्सली कमांडर को भी मार गिराया। इसका परिमाण हुआ कि शिशुपाल सिन्हा को राष्ट्रपति वीरता पदक मिलने वाला है।
शिशुपाल सिन्हा ने बताया कि उन्होंने 12 साल जो बस्तर में सेवा दी है, यह पदक उसी का परिणाम है वे पदक मिलने की खबर से बेहद उत्साहित हैं। उन्होंने बताया कि 30 जून 2021 को जब झीरम घाटी में सूचना मिली कि नक्सलियों की टोली आई हुई है, क्योकि ठीक इसके एक सप्ताह पहले ही बड़ी मुठभेड़ यहां हुई थी, जिसमें 3 माओवादियों को मारा गिराया गया और एके 47 रायफल बरामद किया गया था। जिसके बाद से लगातार नक्सलियों की उपस्तिथि मिल रही थी, वहां उस समय एसपी दीपक झा थे, जिनके द्वारा ही झीरम घाटी जाने आदेशित किया गया था। हम लोग 8 जवान वहां गये और वहां 26 नम्बर के प्लाटून कमांडर को मारने में सफलता हासिल किए और इसी का परिणाम है कि 3 साल बाद आज राष्ट्रपति वीरता पदक के लिए मुझे नामांकित किया गया है।