बाबा विश्वनाथ कॉरीडोर के 5 किमी दायरे में प्रतिबंधित हो मांस की बिक्री

कोर्ट के आदेशों की उड़ रही धज्जियां, धड़ल्ले से जगह-जगह बिक रहा है मीट

सुरेश गांधी

वाराणसी : बाबा विश्वनाथ मंदिर परिसर सहित आसपास के इलाकों में धड़ल्ले से बिक रहे खुला मांस की बिक्री को लेकर लोगों में जबरदस्त आक्रोश है। समाजसेवी एवं जायसवाल क्लब के गोपालजी जायसवाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित वाराणसी के संबंधित अधिकारियों को पत्र भेजकर बाबा विश्वनाथ कॉरीडोर के पांच किमी परिक्षेत्र में मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। खास बात यह है कि अवैध तरीके से संचालित हो रही मटन व चिकन की दुकानें खाद्य सुरक्षा मानकों की धज्जियां उड़ा रही हैं। स्थिति यह है कि वर्ष 2017 से किसी भी मांस विक्रेता को न ही लाइसेंस जारी किया गया और न ही किसी के लाइसेंस का नवीनीकरण हुआ। जीवन के साथ खिलवाड़ करने वाली इन दुकानों के बारे में जानकारी होने के बाद भी जिम्मेदार महकमा गहरी नींद सो रहा है।

गोपालजी जायसवाल ने कहा कि धर्म आस्था का विषय है, इसलिए कोर्ट ने इसका संज्ञान लेते हुए धार्मिक स्थलों के दायरे में मांस की दुकान चलाने पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके बावजूद इस आदेश का अभी तक पालन नहीं हो पाया है। कोर्ट के आदेशों की खुलेआम धज्जियां उड़ाते हुए लोग मंदिर क्षेत्र में मीट की दुकान चला रहे हैं। वहीं, चौकाने वाली बात ये है कि इसके लिए अभी तक न तो कोई अभियान चलाया गया और न ही इसमें किसी प्रकार की कोई रोक लगाई गई। जबकि जबसे बाबा विश्वनाथ धाम का लोकार्पण हुआ है, पर्यटकों व श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा हो रहा है। लेकिन सड़कों पर जगह-जगह मांस की दुकान खुली हुई है। इससे श्रद्धालुओं को खासी परेशानी होती है। लोगों ने कई बार इसकी शिकायत जिला प्रशासन से भी की, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। श्रद्धालुओं का कहना है कि मंदिर क्षेत्र में हमारे अराध्य देवताओं के सामने मांस की दुकान होना धार्मिक कार्यों में बाधा डालने के समान है।

समाजसेवी एवं जायसवाल क्लब के गोपालजी जायसवाल

बता दें कि इस समय मंदिर परिक्षेत्र के सड़कों पर दर्जनों दुकानों पर खुलेआम बकरा, मुर्गा और मछली काट कर बेचे जाते हैं। आदेश के बाद भी उसे न तो हटाया गया न ही हटाने का प्रयास हो रहा है। जबकि हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में निर्देश दिए हैं कि यदि धार्मिक स्थलों के आसपास, घनी बस्ती या सड़कों के किनारे मांस की बिक्री होती है तो उन दुकानों को चिंहित कर तत्काल हटवाया जाए। नागरिकों का कहना है कि विक्रेता कहां से जानवर खरीदकर लाते हैं और कहां उसका वध करते हैं, इस बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है। नियमानुसार वध से पहले मुर्गे और बकरे के स्वास्थ्य की जांच की जानी चाहिए, लेकिन खाद्य और औषधि प्रशासन की ओर से स्वास्थ्य परीक्षण के लिए कोई भी व्यवस्था नहीं करवाई गई है।

साधु-संतों ने किया था विरोध
मंदिर के आस-पास मांस-मटन की बिक्री का कारोबार विगत कई वर्षों से हो रहा है, जिसके लिए कई बार देश भर के साधु-संत और हिन्दू संघठन लगातार आवाज उठाते आ रहे हैं. इसके लिए कई बार प्रदर्शन भी हुए कि इन दुकानों पर कार्रवाई की जाए. साथ ही मंदिर के आस-पास मांस-मटन बेचने को बैन किया जाए. लेकिन यह काम धड़ल्ले से चल रहा है। कुछ ऐसी दुकानें भी है जहां मांस मटन की बिक्री होती है जिससे मंदिर में आने-जाने वाले आम लोगों को दिक्कत होती है और उनकी आस्था को ठेस पहुँचती है. इन दुकानों के कारण होने वाली गंदगी के कारण यहां से आना-जाना मुश्किल हो गया है। राहगीरों की समस्या यही खत्म नहीं होती मांस के दुकान के बंगल में शराब की दुकान संचालित होने के कारण इस मार्ग पर शराबियों का जमघट लगा रहता है। इन दुकानों से निकलने वाले कचरे को सड़क किनारे ही फेंक दिया जाता है, जिसके कारण इस मार्ग पर बदबू और गंदगी फैली रहती है। शिकायत के बाद भी यहां कार्रवाई नहीं की गई है।

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