अयोध्या: जहां 45 माह विराजमान रहे रामलला, वहां बनेगी यज्ञशाला
जिस अस्थायी राममंदिर में रामलला 45 माह विराजमान रहे, उस स्थान पर श्रीरामयज्ञशाला बनाने की तैयारी है। रामनवमी के बाद यज्ञशाला की डिजाइन व ड्राइंग को अंतिम रूप दिया जाएगा। इसके बाद यज्ञशाला को आकार देने का काम शुरू होगा। इस यज्ञशाला में निरंतर हवन-पूजन होते रहेंगे, ताकि यह स्थल जागृत बना रहे।
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा भव्य-दिव्य मंदिर में हो चुकी है। मंदिर परिसर में अन्य कई प्रकल्पों को आकार दिया जा रहा है। वहीं, राममंदिर परिसर के मुख्य द्वार पर खड़े अस्थायी राममंदिर के स्ट्रक्चर को अब हटाने की तैयारी हो रही है। नौ नवंबर 2019 को राममंदिर के हक में फैसला आने के बाद ट्रस्ट ने अस्थायी राममंदिर का निर्माण कराया था। 25 मार्च 2020 को सीएम योगी आदित्यनाथ ने 27 साल तक टेंट में रहे रामलला को अपनी गोद में उठाकर अस्थायी राममंदिर में विराजमान किया था। तब से इसी मंदिर में रामलला की पूजा-अर्चना की जाती रही। रामलला ने इसी स्थल पर विराजमान होकर 45 माह तक भक्तों को दर्शन दिए।
इस बीच राममंदिर निर्माण कार्य चलता रहा। 22 जनवरी को पीएम नरेंद्र मोदी ने अस्थायी मंदिर में विराजे रामलला की प्राण प्रतिष्ठा नए मंदिर में की। जब से रामलला नए मंदिर में विराजे हैं, यह सवाल उठ रहा है कि अस्थायी राममंदिर के स्ट्रक्चर का क्या होगा? जानकारी मिली है जिस स्थल पर रामलला तीन साल से अधिक समय तक विराजमान रहे, वहां श्रीराम यज्ञशाला निर्मित की जाएगी। इसके पीछे का तर्क है कि वह स्थल रामलला की मौजूदगी से जागृत हो चुका है। स्थल जागृत बना रहे इसलिए यहां पर यज्ञशाला बनाकर निरंतर हवन-पूजन, अनुष्ठान किए जाते रहेंगे ताकि परिसर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता रहे।
राम मंदिर के आर्किटेक्ट आशीष सोमपुरा का कहना है कि यज्ञशाला को लेकर प्रस्ताव है। अंतिम निर्णय श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को करना है। ट्रस्ट की अनुमति मिलने के बाद यज्ञशाला की डिजाइन व ड्राइंग तैयार करने का काम शुरू होगा। रामनवमी के बाद इस पर निर्णय लिया जा सकता है।