पति कमाने गया बाहर, पत्नी ने दूसरी शादी कर खेला ऐसा खेल

कहने और सुनने में भले ही आपको अजीब लगेगा मगर एक मृत व्यक्ति खुद को और अपनी संतानों को जिंदा साबित करने के लिए दर-दर भटकने को मजबूर है. अब आप सोच रहे होंगे कि भला मृत व्यक्ति खुद को जिंदा साबित करने के लिए कैसे भटक सकता है. आपको बता दें कि यह व्यक्ति जिंदा है लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में इस व्यक्ति और उसके दोनों बच्चों को मृत घोषित कर दिया है, जिसके चलते अब उसको खुद को जिंदा साबित करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ रहे है. सरकारी डॉक्यूमेंट में मृत घोषित एक व्यक्ति और उसके दो बच्चे खुद को जिंदा साबित करने के लिए बीते डेढ़ साल से संघर्ष कर रहे हैं. इसके लिए उन्होंने कलेक्ट्रेट और एसडीएम ऑफिस में भी गुहार लगाई, लेकिन मामले की जांच होने की वजह सिर्फ आश्वासन मिला. जन आधार कार्ड में तीनों के नाम के आगे मृत लिखा है. यानी सरकारी रिकॉर्ड में तीनों मर चुके हैं. इस वजह से तीनों सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ पाने से वंचित हैं.

आपको बताते है कि यह मामला पाली जिले आने वाले मारवाड़ जंक्शन तहसील के सारण गांव का है. सारण गांव के रहने वाले शंकर सिंह रावत जिनकी उम्र 37 साल है और उनकी बेटी व बेटे को फर्जी तरीके से दस्तावेज में मृत घोषित कर दिया गया है. इससे जन आधार कार्ड में तीनों के नाम के आगे मृत लिखा आ रहा है और इन डॉक्यूमेंट्स का सत्यापन भी किया गया है. अब यह जानकारी नहीं मिल पा रही ऐसा करने से आखिर किसको क्या लाभ होना था या फिर किसकी इसमें लापरवाही रही.

क्या है पूरा मामला
पीड़ित शंकर सिंह रावत बताते है कि साल 2010 में मेरी शादी हुई थी. शादी के बाद उसे तीन बच्चे हुए. गांव में उसकी मां, पत्नी तीन बच्चों के साथ रहती थी. वह कुछ साल पहले कमाने के लिए आबू रोड चला गया. जहां मार्बल फैक्ट्री में काम करता था. इस दौरान उसकी गैरमौजूदगी में पत्नी ने एक दूसरे व्यक्ति से शादी कर ली. वह उसके साथ छोटे बेटे को भी ले गई. शंकर ने आरोप लगाया कि प्रॉपर्टी के चक्कर में उसकी पत्नी ने उसके जन आधार कार्ड में ई-मित्र संचालक से मिलकर उसे मृत घोषित करवा दिया. मामले में तत्कालीन सरपंच के खिलाफ कार्रवाई करने की भी मांग की है और कलेक्टर से भी मुलाकात की. इसके बाद भी फिलहाल वह और अन्य दो बच्चे सरकारी रिकॉर्ड में मृत बताए जा रहे है.

ऐसे मिली मृत होने की जानकारी
शंकर को अब सरकारी योजनाओं का भी लाभ नहीं मिल पा रहा है. शंकर की मानें तो मौत होने की जानकारी उसे साल 2022 में गांव में लगे एक शिविर में पता चली. वह शिविर में किसान सम्मान निधि के लिए आवेदन करने गया था, लेकिन वहां शिविर अधिकारी ने दस्तावेज देखकर कहा कि उसकी मौत हो चुकी है. इसके बाद से ही वह प्रशासनिक अधिकारियों के चक्कर लगा रहा है और अपने व बच्चों को सरकारी कागज में जिंदा करने की गुहार लगा रहा है.

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