मां बनते ही ‘होटल’ में रहती हैं यहां की महिलाएं, वजह जानकार हो जाओगे हैरान

अक्सर महिला के माँ बनने पर महिला का बहुत ही तरिके से ध्यान रखा जाता है और इसकी उन्हें ख़ास जरूरत होती है। और डिलीवरी के लिए उन्हें एक या दो दिन अस्पताल में ही रखा जाता है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया में एक ऐसा शहर भी है, जहां पहली बार मां बनते ही महिलाओं को होटल में भेज दिया जाता है। डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में स्थित इस अनोखे होटल को बेबी होटल के नाम से जाना जाता है। दिन हो या रात, यहां हर वक्त छोटे बच्चों की किलकारियां और रोने की आवाजें सुनने को मिलती हैं। यहां नर्सेज भी हर वक्त इधर से उधर घूमती रहती हैं। इस नजारे को देखकर ऐसा लगता है जैसे वो कोई होटल नहीं बल्कि मैटरनिटी वार्ड है। 

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, इस बेबी होटल में वैसी महिलाएं दो दिनों तक यहां रूक सकती हैं, जिन्होंने अपने पहले बच्चे को जन्म दिया है और अगर मां-बच्चे को कोई समस्या है तो उन्हें यहां तबतक रूकने की इजाजत दी जाती है, जब तक कि उनकी परेशानी खत्म नहीं होती। सबसे खास बात है कि इन सबके लिए उनसे कोई भी चार्ज नहीं लिया जाता है। 

डेनमार्क का यह मैटरनिटी होटल प्रोग्राम सरकारी फंड से चलता है। यह सभी बच्चों को उनकी जिंदगी के पहले दिन बराबरी का अधिकार और समान देखभाल का अवसर देता है। बच्चे के माता-पिता चाहे किसी किसी भी सामाजिक या आर्थिक वर्ग के हों, वे अमीर हों या गरीब, उनको यहां बराबरी का अधिकार मिलता है। यह मैटरनिटी होटल प्रोग्राम कोपेनहेगन के ह्विदोव्रे अस्पताल में चलता है। दरअसल, जापान और कई यूरोपियन देशों की तरह डेनमार्क में भी आबादी बूढ़ी हो रही है। इसलिए यहां की सरकार महिलाओं को मां बनने और बच्चे पैदा करने के लिए लगातार प्रोत्साहित करती रहती है। इसके लिए कई तरह के कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं।    

कोपेनहेगन के इस अस्पताल-कम-होटल में खाने-पीने की सभी चीजें उपलब्ध हैं। यहां मेन्यू में सभी तरह के आइटम हैं और 60 से 90 फीसदी चीजें ऑर्गेनिक हैं। महिलाओं को जो भी खाना हो वो फोन करके ऑर्डर दे सकती हैं। इस अस्पताल में आने वाले नए मां-बाप को साझा तौर पर 52 हफ्तों की छुट्टी ऑफर की जाती है। इस छुट्टी के दौरान माताओं को 18 हफ्ते की पूरी सैलरी की गारंटी दी जाती है। यहां के लोगों का कहना है कि यह सरकार का काफी अच्छा फैसला है और हमें खुशी होती है कि हम यहां देख सकते हैं कि हमारे टैक्स का पैसा कहां खर्च हो रहा है।

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