नब्बे के दशक की तरह जम्मू संभाग को दहलाने की पाक की बड़ी साजिश, घुसपैठ के पुराने रूठ सक्रिय!

नब्बे के दशक की तरह जम्मू संभाग को दहलाने से पहले पाकिस्तान ने बड़ी साजिश शुरू कर दी है। बनी और लोहाई मल्हार के इलाकों से सेना की पूरी तरह से वापसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) से भी सेना को हटाए जाने का इंटर सर्विस इंटेलीजेंस (आईएसआई) ने फायदा उठाया।
भारतीय सुरक्षा एजेंसियां जब ड्रोन से हथियार गिराए जाने के मामले में आईबी पर स्लीपर सेल को ध्वस्त करने में जुटी थीं। ऐसा माना जा रहा है कि तभी पाकिस्तान यह साजिश रच रहा है। इससे भारतीय सीमा में न सिर्फ घुसपैठ करवाने, बल्कि पूरे जम्मू संभाग को अशांत करने की साजिश रची गई है।
सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि डोडा से लेकर रियासी, कठुआ से लेकर उधमपुर तक आतंकियों के दल घुसपैठ के पुराने रूट का इस्तेमाल कर पहुंचे हो सकते हैं। इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि बिलावर के लोहाई मल्हार से लेकर डुडू बसंतगढ़ से चिनाब घाटी को जाने का सीधा संपर्क नदी-नालों और जंगलों से है।
लोहाई मल्हार और डुडू बसंतगढ़ तक आतंकी पूर्व में भी कठुआ जिले के दरिया या नालों का इस्तेमाल करते रहे हैं। न सिर्फ सांबा और हीरानगर की सीमा, बल्कि पंजाब और जम्मू-कश्मीर बार्डर से सटे आईबी से भी पिछले लंबे समय से घुसपैठ की घटनाए सामने आती रही हैं।
पहाड़ी इलाकों से जोड़ने वाले तमाम रास्तों पर कड़ा पहरा
जम्मू संभाग में हाल के महीनों में बढ़ी आतंकी वारदातों ने साफ कर दिया है कि आतंकी घुसपैठ के लिहाज से अति संवेदनशील रूट एक बार फिर सक्रिय हो चुके हैं। हालांकि बीएसएफ का दावा है कि जम्मू संभाग में लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा से हाल फिलहाल की कोई घुसपैठ नहीं हुई है।
खुफिया एजेंसियां बेई नाले, उज्ज समेत रावी दरिया के संभावित घुसपैठ के रूट पर भी कड़ी नजर रखे हुए हैं। इन रूट में हाल के महीनों में हुई संदिग्ध गतिविधियों से लेकर मूवमेंट को भी खंगाला जा रहा है।
खास तौर से आतंकियों के पुराने रूट रहे पहाड़पुर-मादा-भाग नाला से छब्बे चक-उज्ज राजबाग, पानसर-बसेरा नाला से हरियाचक शाप नाला से किशनपुर, मनियारी-मंडियाल-तरनाह नाला से हाईवे, बेई नाला-जांडी नाला, तरनाह नाला-लोंडी मोड़, करोल कृष्णा-चकड़ा से चड़वाल हाईवे, चंदवां से हरिपुर-पाटल से हाईवे घुसपैठ के पुराने रूट माने जाते हैं। जिन पर नजर रखी जा रही है। इसी तरह से इन नालों को पहाड़ी इलाकों से जोड़ने वाले तमाम रास्तों पर भी सुरक्षा बलों पहरा बढ़ा दिया गया है।
अनंतनाग में उमा भगवती मंदिर के कपाट 34 वर्षों बाद खुले
अनंतनाग जिले के शंगस में उमा भगवती मंदिर 34 वर्षों बाद शुक्रवार को पूजा के लिए खोल दिया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडित पहुंचे और पूजा अर्चना की। मंदिर में 34 साल बाद घंटी की आवाज सुनकर कश्मीरी पंडित काफी खुश दिख रहे थे। स्थानीय कश्मीरी लोगों ने कहा कि कश्मीरी पंडितों के बिना हम अधूरे हैं।
उनका हम काफी समय से इंतजार कर रहे थे। लोगों ने कहा कि हमारी आस्था इस मंदिर के साथ है। कश्मीरी पंडितों के साथ हमारा भाईचारा आगे भी ऐसा ही रहना चाहिए। कश्मीरी पंडितों ने कश्मीरी लोगों का शुक्रिया अदा किया। कहा कि कश्मीरी लोगों ने हमे काफी प्यार दिया है। मंदिर बनाने में काफी सहयोग किया।