अनुराधा पौडवाल ने बनाई बॉलीवुड गानों से दूरी, अब रियलिटी शो में नहीं करेगी जज
हाल ही में रियलिटी शो में स्पेशल गेस्ट के रूप में नजर आईं अनुराधा पौडवाल का मानना है कि वे लंबे समय तक रियलिटी शोज में जज बनकर नहीं रह सकती हैं. यह काम उनकी पर्सनैलिटी से बिलकुल विपरीत है. साथ ही अनुराधा पौडवाल ने अपनी जर्नी, करियर के बारे में कई दिलचस्प बातें शेयर कीं.
अपने दौर को बहुत एंजॉय किया: ‘म्यूजिकल इंडस्ट्री में मेरी जो जर्नी रही है, चाहे वो पॉजिटिव रहे या निगेटिव, मैं दोनों को ही अपना अचीवमेंट मानती हूं. जब वक्त सही था, तो उस वक्त मौके भी बहुत से मिले, बहुत हिट गानें रहें, मैं वक्त को बहुत मानती हूं. जब मेरा दौर था, तो मैंने उसे बहुत इंजॉय किया है’.
वक्त के साथ बदलता है संगीत : ‘हमारी सोसायटी का पूरा असर आर्ट पर पड़ता है. जैसी सोसायटी होगी, वैसे ही गानें, पेंटिंग्स, फिल्में आप देखेंगी. बदलते वक्त के साथ म्यूजिक का टेस्ट भी बदलता रहता है. इसलिए आरोप-प्रत्यारोप की बातें सही नहीं. आज की सोसायटी को फास्ट ट्रैक गीत पसंद हैं, तो उसी के टेस्ट के अनुसार उन्हें चीजें परोसी जा रही हैं. आज के कई सालों पहले बाल गंधर्व जी ने स्टेज गायकी के लिए प्रख्यात किया, फिर सिनेमा में गानों को इंट्रोड्यूज किया. आगे चलकर एक्ट्रेसेज गाने लगीं उसके बाद सिंगर्स वीडियो में आने लगे. ऐसे ही वक्त बदलता रहता है, आप हर दौर की म्यूजिक का मजा लें’.
किशोर दा की गायकी की मुरीद हूं :बहुत कम उम्र में मुझे टेलीविजन के लिए किशोर दा संग गाने का मौका मिला था. किशोर दा एकमात्र ऐसी शख्सियत थे, जो गाते वक्त नाचते, कुदते-फांदते रहते थे. गाने का सुर एक प्रतिशत के लिए भी टस से मस नहीं होता था. मैं उनके अंदाज की मुरीद हो गई थी.
गुलशन जी चाहते थे कि हम सिंगर्स वीडियो में नजर आएं : जब टी-सीरीज आया तो, उस वक्त सिंगर्स को कहा गया कि वे गाने के साथ-साथ वीडियो में भी नजर आएं क्योंकि गुलशन जी चाहते थे कि फैंस के बीच हमारी पहचान बने. क्योंकि लोगों के जेहन में तो यही होता है कि जो वीडियो में होते हैं, वही गाते हैं. लोगों को पता चलना चाहिए कि यह गाना अनुराधा ने गया है. आज उसका फायदा हमें मिला है.
आज के दौर में गुलशन जी जैसे लोग मिलना असंभव है : गुलशन जी बेहद अध्यात्मिक किस्म के इंसान थे. उन्होंने कमर्शल नहीं बल्कि दिल से काम किया है. मैंने भी सुना था कि दो तीन साल पहले कि गुलशन जी पर बायॉपिक बन रही है लेकिन उससे ज्यादा जानने की कोशिश नहीं की. मुझे किसी तरह की गॉसिप में नहीं पड़ना है. जब गुलशन जी आए, तो उनका एक अलग अंदाज था. आप यह उम्मीद नहीं कर सकते हैं कि पिता ने जो तरीका अपनाया है, बेटा भी वो अपनाए. उनकी सोच अलग है. क्रिएटिवली विचार न मिले, तो बेहतर है उससे दूरी बना लें. मैंने फिर वहां से अपना फोकस शिफ्ट कर अध्यात्म गीतों पर ध्यान देना शुरू कर दिया. मैं इन दिनों कई स्पीरिचुअल सॉन्ग्स कर रही हूं और स्टेज शोज तो होते रहते हैं.
सीडी कल्चर से हुई संगीत की मृत्यु : पहले कैसेट्स का जमाना हुआ करता था, जहां मुश्किल से 8 या 12 गाने होते थे. यही वजह है सिंगर की क्वालिटी पर खासा फोकस होता था लेकिन सीडी कल्चर आ जाने के बाद, जिसमें 200 तक गाने रहा करते थे, वहीं से म्यूजिक की मृत्यु हो गई. क्वांटिटी के चक्कर में क्वालिटी खोते गए.
मैंने जितने भी बॉलीवुड गीत गाए सभी हिट रहे
कई फैंस की यह कंपलेन रही है कि मैंने केवल भजन में ही फोकस रखा और बॉलीवुड के गानों में बहुत ध्यान नहीं दिया. सच कहूं, तो मैं इसे इस तरह देखती हूं कि बॉलीवुड के लिए मैंने कुल मिलाकर दस से बारह गाने गाए होंगे और वे सभी के सभी सुपरहिट रहें. आज भी लोग उन गानों को गुनगुनाते हैं. बात क्वालिटी की है, जो मैंने इंडस्ट्री को देने की कोशिश की है. आज भी लोगों को मेरे गाने याद हैं, बस मेरे लिए काफी है.
रियलिटी शोज मेरे बस का नहीं: बदलते वक्त के साथ सिंगर्स को परफॉर्मर बनना पड़ा. हमारे जनरेशन के सिंगर्स के बीच यह मर्यादा थी कि हम एक जगह बैठकर गाएं उसके बाद जो नए टैलेंट आएं, उनपर टेलीविजन पर दिखने का प्रेशर था, तो उन्हें परफॉर्मर बनना पड़ा. अब रियलिटी शोज की बात करें, तो यह मेरे बस का नहीं है. मैं खुश हूं कि कई रॉ टैलेंट को इसके जरिए मौके दिए जा रहे हैं. मैं बहुत रिस्पेक्ट करती हूं, लेकिन यह मेरे बस का नहीं. मैं इसके लिए दिमागी रूप से तैयार नहीं हूं. कई बार जज को सिंगिंग के साथ-साथ आपको ऐक्टिंग भी करनी होती है, मैं इसमें सहज नहीं हूं. हां, मुझे गेस्ट के रूप में जब भी बुलाया जाएगा, मैं जरूर जाऊंगी.