100 अरब डॉलर से ज्यादा की हो रही सालाना ऑनलाइन सट्टेबाजी

देश में अवैध जुए और सट्टेबाजी का प्रसार और खतरा तेजी से बढ़ रहा है। पिछले साल केवल तीन महीनों यानी अक्टूबर से दिसंबर के बीच सिर्फ चार प्लेटफॉर्मों परीमैच, स्टेक, 1एक्सबेट और बैटरी फर्स्ट पर ही 1.60 अरब विजिट्स दर्ज की गईं। इंटरनेट मीडिया के माध्यम से इन प्लेटफॉर्मों तक पहुंचने की सबसे अधिक (4.28 करोड़) कोशिशें हुईं।
ऑनलाइन जुए और सट्टेबाजी के खिलाफ सरकार
गुरुवार को एक नीति समूह द्वारा जारी रिपोर्ट में यह आंकड़ा प्रस्तुत किया गया है और इसमें ऑनलाइन जुए और सट्टेबाजी के खिलाफ सरकार और गूगल व मेटा जैसी बड़ी टेक कंपनियों की साझा लड़ाई की जरूरत जताई गई है।
100 अरब डॉलर पार अवैध कमाई का बाजार
डिजिटल इंडिया फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार-‘ देश में अवैध जुए और सट्टेबाजी का नेटवर्क गंभीर रूप ले चुका है। अनुमान है कि यह अवैध सेक्टर हर साल 100 अरब डॉलर के लेनदेन को पार कर चुका है और हर साल 30 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है और इसकी रोकथाम केवल सरकार के बस की बात नहीं है।’
फाउंडेशन के संस्थापक अरविंद गुप्ता ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा- ‘आनलाइन जुए और सट्टेबाजी के कारण मनी लांड्रिंग और अवैध भुगतान में बेलगाम वृद्धि हो रही है। गूगल और मेटा एडवरटाइजिंग और सर्च इंजन आप्टिमाइजेशन (एसईओ) से मुनाफा कमा रही हैं, इसलिए उनकी ओर से निर्णायक कदम नहीं उठाए जाते। उनका एक तिहाई ट्रैफिक इन वेबसाइटों के माध्यम से आता है।’
इन्फ्लुएंसर कर रहे जुए प्लेटफॉर्म को प्रमोट
रिपोर्ट के अनुसार, इन्फ्लुएंसर इसका असर जाने बिना उन्हें प्रमोट कर रहे हैं। ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुए के प्लेटफार्म निगरानी और कार्रवाई से बचने के लिए कई मिरर वेबसाइट बनाकर अपना काम कर रहे हैं। उन पर पाबंदी लगती है तो लोगों को आकर्षित करने के लिए उनकी मिरर वेबसाइट उपलब्ध हैं।
अरविंद गुप्ता ने कहा कि ये प्लेटफार्म मोटी कमाई करते हैं और मनी लांड्रिंग करते हैं। सरोगेट या मुखौटा कंपनियों के जरिये पेमेंट लेते हैं या फिर उनके पास अपने वितरण चैनल बन चुके हैं, जिनके माध्यम से पेमेंट लिया जाता है। रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 600 प्लेटफार्म आफशोर यानी विदेश से संचालित हैं और वे सीधे-सीधे जीएसटी की चोरी कर रहे हैं ।
विदेशी ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म जीएसटी विभाग में पंजीकृत नहीं
पिछले साल संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार ने बताया था कि एक अक्टूबर, 2023 के बाद कोई भी विदेशी ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म जीएसटी विभाग में पंजीकृत नहीं हुआ है। जीएसटी इंटेलीजेंस के महानिदेशालय ने 2023-24 की अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 658 विदेशी कंपनियों की जीएसटी चोरी को लेकर जांच की जा रही है।अरविंद गुप्ता ने कहा- ‘ एक आचार संहिता होनी चाहिए जिससे आनलाइन जुए और सट्टेबाजी के विज्ञापनों को पूरी तरह रोका जा सके। उदाहरण के लिए, जीएसटी न देने वाले प्लेटफार्मों की आसानी से पहचान की जा सकती है।’
साइटों को ब्लाक करना एकमात्र समाधान नहीं
उनका सुझाव प्लेटफॉर्मों की व्हाइट लिस्टिंग का है। इसका मतलब है कि ऐसे प्लेटफार्मों की सूची बनाई जाए जो वैध हैं और नियमों के दायरे में काम करते हैं। यह उलटा तरीका है, जो आज की जरूरत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नार्वे, डेनमार्क, बेल्जियम और अमेरिका का अनुभव बताता है कि साइटों को ब्लाक करना एकमात्र समाधान नहीं हो सकता।