अन्नदाता किसान के कंधे मजबूत करेगा मौसम विज्ञान, पंचायत स्तर पर घंटे के हिसाब से मिलेगा पुर्वानुमान

कल्पना कीजिए कि अन्नदाता किसान के हाड़तोड़ श्रम के बाद खेतों में फसल तैयार खड़ी है, और तूफान या चक्रवात आने को है। सही समय पर आकाशवाणी से इसकी सूचना मिल जाए और फसल सुरक्षित बचा लिया जाए। 

फसल की पैदावार, सुरक्षा और रखरखाव में मौसम के पूर्वानुमान की अहम भूमिका है। इसकी महत्ता को समझते हुए केंद्र सरकार ”मिशन मौसम” के तहत अब देश में ग्राम पंचायत स्तर पर किसानों को डिजिटल मंचों के जरिये हर घंटे मौसम के पूर्वानुमान का अपडेट देगी।

पंचायती राज मंत्रालय भारतीय मौसम विभाग के साथ मिलकर ग्राम पंचायतों के लिए मौसम पूर्वानुमान सेवा शुरू करने जा रहा है। पंचायती राज्य मंत्रालय ने बीते 24 अक्तूबर को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में ”हर हर मौसम, घर घर मौसम” योजना की शुरुआत की। इसके तहत ग्राम पंचायतों को पांच दिनों का दैनिक मौसम पूर्वानुमान मिलेगा। खेती-किसानी के अलावा आपदा प्रबंधन में भी इस नई व्यवस्था से काफी मदद मिलेगी।

ऐसे काम करेगी मौसम के पुर्वानुमान की व्यवस्था

कुछ दशक पहले तक भारत के अनुभवी किसान आसमान का रंग और हवा का रुख देख कर मौसम की करवट का अंदाजा लगा लेते थे। क्लाइमेट चेंज के इस दौर में मौसम का पूर्वानुमान व आकलन बीते जमाने की बात हो गई। अब इस पहल से भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी ) की वेबसाइट – ”मौसम ग्राम” और इसके अलावा पंचायती राज मंत्रालय के दो ऐप- ”ई ग्राम स्वराज” और ”मेरी पंचायत” के जरिये किसान अब स्थानीय स्तर पर प्रति घंटे से लेकर अगले पांच दिनों के मौसम का पूर्वानुमान जान सकेंगे और अपनी खेती को लेकर सही व सुरक्षित योजनाएं बना सकेंगे।

ये जानकारियां होंगी मुहैया 

”मौसम ग्राम” वेबसाइट और ”मेरी पंचायत” ऐप आदि इन डिजिटल मंचों पर भारत के किसी भी कोने में बैठे किसान को अपने गांव का नाम- पता (जिला तहसील ब्लॉक) या पिन कोड डालते ही स्थानीय स्तर पर बारिश, हवा की गति और दिशा, आर्द्रता की मात्रा, न्यूनतम व अधिकतम तापमान, बादलों की आवाजाही की जानकारी प्रति घंटे से लेकर अगले पांच दिनों के मौसम का हाल मिल सकेगा। यही नहीं चक्रवात और भारी वर्षा जैसी चरम मौसमी पस्थितियों के बारे में पंचायत प्रतिनिधियों को एसएमएस के जरिये सूचना भी मिल जाएगी। जिससे लोगों की जान-माल, फसल आदि की सुरक्षा हो सकेगी।

किसानों को कार्ययोजना बनाने में मिलेगी मदद

आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह ने बताया कि इस नई व्यवस्था से किसान ”स्थानीय मौसम” के पूर्वानुमान की सूचना से लैस होंगे। उन्हें फसल की बुवाई, सिंचाई, कटाई व सुरक्षा व रखरखाव आदि की योजना बनाने व निर्णय लेने में काफी मदद मिलेगी। 

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