लखनऊ में ढहाए जा रहे नजूल जमीन पर बने अवैध अपार्टमेंट..

राजधानी लखनऊ में नजूल की जमीन पर बन खड़े हुए अवैध अपार्टमेंट का ढहाया जा रहा है। एलडीए ने छह मंजिला अपार्टमेंट को गिराने की कार्रवाई शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि यह बिल्डिंग सपा नेता फहद यजदान की है। बिल्डर ने लगभग 45 फ्लैट बनाए हैं। इनकी कीमत 50 लाख से लेकर एक करोड़ बताई जा रही है। एलडीए की कार्रवाई शुरू हुई तो बिल्डर ने आनन-फानन 45 में 36 फ्लैटों की रजिस्ट्री भी कर डाली। दोषी पाए गए 8 इंजीनियर और अफसरों के खिलाफ कार्रवाई शासन नें लंबित है।

छह महीने पहले कुछ हिस्सा तोड़ा गया था

यजदान बिल्डर ने प्राग नारायण रोड पर नक्शे के विपरीत अवैध तरीके से काफी बड़ा अपार्टमेंट बना लिया है। नक्शा पास होने से पहले उसने बिल्डिंग खड़ी कर ली। कई लोगों को फ्लैट भी बेच दिये। बाद में एलडीए ने इस बिल्डिंग को ध्वस्त कराने का आदेश पारित किया था। करीब छह महीने पहले इस बिल्डिंग का कुछ हिस्सा तोड़ा भी गया था। बिल्डिंग तोड़ने में काफी कठिनाई आ रही थी। ऐसे में प्राधिकरण ने इसे तोड़ने के लिए डायनामाइट के इस्तेमाल का भी प्रस्ताव बनाया था। बाद में शासन ने इसके लिए मना कर दिया। फिर इसे गिरवाने के लिए प्राधिकरण ने टेंडर कराया। एक कंपनी को इसे तोड़ने का टेंडर दिया गया है।

लोग बोले गाढ़ी कमाई लगी है, जुर्माना ले लो

कार्रवाई की आहट पर बिल्डर ने अपार्टमेंट में कई खरीदारों को कब्जा करा दिया। जबकि छह महीने पहले जब बिल्डिंग तोड़ी जा रही थी तो इसमें किसी का कोई कब्जा नहीं था। लोगों के कब्जा करने की वजह से अब बिल्डिंग तोड़ने में दिक्कतें आ रही है। प्राधिकरण का परिवर्तन दस्ता रविवार को इन्हीं लोगों को खाली कराने मौके पर पहुंचा। बड़ी संख्या में पुलिस बल भी साथ में था। लोग फ्लैट खाली करने को तैयार नहीं है। खरीदार पत्नी और बच्चों के साथ यहां डट गए। ध्वस्तीकरण न करने की मांग करने लगे। उनका कहना है कि उनके जीवन की गाढ़ी कमाई इसमें लगी हुई है। प्राधिकरण को बिल्डिंग तोड़ने से क्या फायदा होगा। इससे अच्छा वह लोगों से जुर्माना लेकर इसे नियमित कर दे। जल्दी ही ठेकेदार इस बिल्डिंग को ध्वस्त करेगा। इसके लिए पुलिस बल मांगा गया है।

अधूरी बिल्डिंग में छह परिवारों को दे दिया कब्जा

यजदान बिल्डर की यह बिल्डिंग अभी अधूरी है। इसके बावजूद बिल्डर ने छह परिवारों को इसमें कब्जा दे दिया था। प्राधिकरण ने इनमें से तीन लोगों को शनिवार को बाहर निकाला था। जबकि तीन लोगों को रविवार को बाहर निकाला गया। लोगों ने कहा कि वह फ्लैट नहीं तोड़ने देंगे। इसका विरोध करेंगे। उधर प्राधिकरण के दस्ते ने पुलिस बल के सहयोग से लोगों का सामान बाहर निकलवाया।

मुंबई की कंपनी तोड़ेगी यजदान बिल्डर का अपार्टमेंट

मुंबई की कंपनी यजदान बिल्डर का अपार्टमेंट तोड़ेगी। एलडीए ने कंपनी के साथ करार कर लिया है। कंपनी सोमवार को नई तकनीक से बिल्डिंग तोड़ेगी। वह सबसे पहले छठी मंजिल को ध्वस्त करेगी। इसके लिए वह पोकलैंड मशीन को छठी मंजिल पर ले जाएगी। वहां से छठी और पांचवी मंजिल को धीरे धीरे कर तोड़ेगी। एलडीए उपाध्यक्ष डॉक्टर इंद्रमणि त्रिपाठी ने बताया की कंपनी को छठी तथा पांचवी मंजिल को तोड़ने में 15 दिन का वक्त लगेगा। बाकी फ्लोर बहुत जल्दी गिर जायेंगे। उन्होंने बताया कि सोमवार को बिल्डिंग तोड़ी जाएगी। जिन लोगों ने इसमें फ्लैट खरीदा है उन्हें बिल्डर से ब्याज सहित पैसा वापस लेना चाहिए। बिल्डर ने लोगों के साथ ठगी की है और प्राधिकरण की सरकारी जमीन पर अपार्टमेंट बनाया है। उन्होंने कहा बिल्डर ने बिना बिल्डिंग पूरी कराए, खिड़की दरवाजा व अन्य चीजों का निर्माण कराए ही कब्जा दे दिया है। यह उसकी साजिश है।

36 लोगों का करोड़ों डूबा

प्राग नरायण रोड स्थित यजदान बिल्डर के अपार्टमेंट में फ्लैट खरीदने वाले 36 लोगों करोड़ों रुपये डूब गए। यदि एक फ्लैट 50 लाख में ही खरीदा होगा तो 18 करोड़ रुपये इन परिवारों का फंसा है। एलडीए उपाध्यक्ष का कहना है कि अवैध बिल्डिंग में फ्लैट ख्र्ररीदने वाले लोग बिल्डर से अपना पैसा मांगे। एलडीए से कोई मतलब नहीं है। छह महीने से कार्रवाई चल रही है, फिर भी लोगों ने फ्लैट खरीद लिए।

8 इंजीनियरों पर कार्रवाई शासन में लंबित

यजदान बिल्डर की अवैध बिल्डिंग बनवाने के मामले में भी 8 इंजीनियर तथा अफसर दोषी हैं। प्रवर्तन प्रभारी, विहित प्राधिकारी, एई तथा जेई समेत 8 लोग इस मामले में दोषी बताए गए हैं। जिनके खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन को रिपोर्ट भेजी गई है लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ।

60 करोड़ की है जमीन

यजदान बिल्डर ने जिस जगह अपार्टमेंट बनाया है उस जमीन का आवंटन प्राधिकरण ने एक व्यक्ति के नाम किया था लेकिन उसने जमीन को फ्री होल्ड नहीं कराया था। इस बीच यजदान बिल्डर ने जमीन खरीद ली। बिल्डर ने इस जमीन पर नक्शा पास करने के लिए एलडीए में जमा किया था। 2016 में ही उसका नक्शा निरस्त कर दिया गया था। क्योंकि नजूल की एनओसी नहीं मिली थी। इस जमीन की वर्तमान कीमत 60 करोड़ रुपए है।

हाईकोर्ट से भी बिल्डर को नहीं मिली राहत

यजदान बिल्डर ने इस मामले की हाई कोर्ट में अपील की थी। बिल्डर ने हाईकोर्ट से इस पर तत्काल रोक लगाने की मांग की थी। लेकिन उच्च न्यायालय ने बिल्डर की इस अपील को खारिज कर दिया था।

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