अमृतसर: भारत-पाकिस्तान सीमा पर तस्करों ने फिर से उड़ाने शुरू किए बड़े ड्रोन, सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट

भारत-पाकिस्तान सीमा से सटे अटारी गांव के खेतों में 6 किलो हेरोइन की खेप पकड़े जाने के बाद यह साबित हो चुका है कि एक बार फिर से दोनों तरफ के तस्करों ने बड़े ड्रोन उड़ाने शुरू कर दिए हैं। जानकारी के अनुसार बड़े ड्रोन जो पांच से सात फुट या आठ फुट चौड़े रहते हैं यह 5 किलो से 26 व 28 किलो तक वजन उठाने में सक्षम होते हैं और तस्करों की तरफ से आमूमन धुंध वाले सीजन में इन ड्रोन्स को उड़ाया जाता है।

बी.एस.एफ. के आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो पता चलता है कि दोनों ही तरफ के तस्कर पिछले एक डेढ़ महीने से मिनी ड्रोन उड़ा रहे थे, जिनका आकार हाथ के बराबर होता है यह ड्रोन आधा किलो तक वजन उठाने में सक्षम होते हैं और सस्ते भी होते हैं तस्कर एक बार बड़ी खेप मंगवाने के बजाय बार-बार आठ से दस फेरे लगाकर आधा-आधा किलो की कई खेप इधर-उधर कर सकते हैं, लेकिन इन ड्रोन्स का बैटरी बैकअप काफी कम होता है और ज्यादा दूर यह ड्रोन उड़ान भी नहीं भर पाते हैं।

माह में पकड़े जा चुके हैं 15 से ज्यादा मिनी ड्रोन
पाकिस्तानी सीमा से सटे अमृतसर के 153 किलोमीटर के इलाके में बी.एस.एफ. व पंजाब पुलिस की तरफ से चलाए गए कई ज्वाइंट ऑप्रेशन्स के दौरान 15 से ज्यादा मिनी ड्रोन्स पकड़े जा चुके हैं। कई बार यह ड्रोन लावारिस हालत में मिले हैं और कई बार बिल्कुल ही क्षतिग्रस्त हालत में मिले हैं। इन ड्रोन्स को कौन उड़ा रहा था और कौन इन मिनी ड्रोन्स के जरिए खेप मंगवा आ रहा था, यह अभी तक जांच का विषय बना हुआ है।

खेतीबाड़ी की आड़ में तस्करी कर रहे कुछ किसान
बार्डर फैंसिंग के आस-पास सीमावर्ती इलाके जहां आबादी बहुत ही कम है और दूर-दूर तक खेत हैं। ऐसे इलाकों में कोई बाहर का व्यक्ति इलाके में घूम नहीं सकता है और बाहरी व्यक्ति का दूर से ही पता चल जाता है खासकर रात के समय में तो अंधेरे में बाहरी व्यक्ति का आना-जाना संभव ही नहीं है। कुछ केन्द्रीय एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार सीमावर्ती गांवों में ही रहने वाले कुछ तस्कर खेतीबाड़ी की आड़ लेकर तस्करी कर रहे हैं और कई बार रंगे हाथों पकड़े भी जा चुके हैं।

बार-बार उछलते हैं बड़े तस्करों के नाम
हेरोइन की खेप व इनके कैरियरों के पकड़े जाने के मामले में आमतौर पर बड़े व नामी तस्करों के ही नाम सामने आते हैं, जो जेलों के अन्दर से या विदेशों में बैठकर अपने गुर्गों के जरिए तस्करी करवाते हैं और गरीब व जरुरतमंद लोगों को अपना शिकार बनाते हैं। हाल ही में पकड़ा गया एक तस्कर मजदूरी का काम करता था और गरीबी की वजह से तस्करी करने लगा था, लेकिन पकड़ा गया, जबकि कुछ लोग कम मेहनत करके अमीर बनने के चक्कर में भी बड़े तस्करों के चगुल में फंस जाते हैं।

एंटी ड्रोन तकनीक लगाना समय की जरुरत
जम्मू-कश्मीर व पंजाब बार्डर में तस्करी व आतंकी घटनाओं को देखते हुए कई बार केन्द्र सरकार की तरफ से बार्डर पर एंटी ड्रोन तकनीक लगाने की ऐलान किए जाते रहे हैं, लेकिन अभी तक यह तकनीक नहीं लगाई जा रही है जिसका तस्करों की तरफ से फायदा उठाया जा रहा है हालांकि ड्रोन सिस्टम से तस्करों की तरफ प्लॉस्टिक पाइप, जुराबों से फैककर, भारत-पाकिस्तान के बीच चलने वाले ट्रकों व मालगाड़ी के साथ-साथ समझौता एक्सप्रैस के जरिए खेप को इधर उधर किया जाता था।

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