फील गुड फिल्मों के अभिनेता अमोल पालेकर बोले- बी.आर. चोपड़ा ने दी थी इंडस्ट्री से फेंकने की धमकी

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के चौथे दिन रविवार को बॉलीवुड अभिनेता अमोल पालेकर ने फिल्म निर्देशक बी.आर. चोपड़ा से जुड़े एक दिलचस्प वाकये का खुलासा किया। पालेकर ने बताया कि कैसे बकाया पैसे मांगने पर बी.आर. चोपड़ा ने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री से बाहर फेंक देने की धमकी दी थी।

अमोल ने कहा कि बी.आर. चोपड़ा की फिल्म कंपनी को उन्हें 40 हजार रुपये देने थे, जो फिल्म की रिलीज तक नहीं मिले। उन्होंने इस बारे में एक लिखित आश्वासन मांगा, जिसे इंडस्ट्री में चुनौती मान लिया गया। चोपड़ा ने उन्हें धमकी दी कि “तुम्हें इंडस्ट्री से बाहर फेंक दूंगा।” इसके जवाब में पालेकर ने स्पष्ट रूप से कहा- फिल्म इंडस्ट्री आपका बंगला नहीं है। मैं यहां अपने दम पर टिका हूं। किसी फिल्मी खानदान से नहीं आता, फिर भी मैंने अपनी जगह बनाई है। देखते हैं कौन-किसे बाहर करता है।

अमोल इस विवाद को लेकर अदालत तक पहुंचे और बरसों बाद उन्हें ब्याज सहित 40 हजार रुपये मिले। उन्होंने इस पूरी राशि को दान कर दिया। इस विवाद के बारे में उन्होंने कहा कि यह पैसों की नहीं, बल्कि सम्मान की लड़ाई थी।

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के चौथे दिन आयोजित इस सत्र में पालेकर ने संध्या गोखले और कार्यक्रम आयोजक संजॉय के. रॉय के साथ बातचीत की। पांच दिवसीय इस फेस्टिवल में 600 से अधिक वक्ता देश-विदेश से हिस्सा ले रहे हैं।

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में बेबाक बयान
फील-गुड फिल्मों के चर्चित अभिनेता आमोल पालेकर ने उनके राजनीति में आने की अटकलों को लेकर साफ कहा कि वे आलोचना करने के अपने अधिकार को बरकरार रखना चाहते हैं, इसलिए राजनीति से दूरी बनाए रखते हैं। पालेकर ने यह भी खुलासा किया कि वे अभिनेता भी नहीं बनना चाहते थे। उनका सपना एक पेंटर बनने का था और इसी रूप में मरने की ख्वाहिश रखते हैं।

थिएटर और फिल्मों में रिहर्सल का अंतर
पालेकर ने थिएटर और फिल्मों के काम करने के तरीकों में बड़ा अंतर बताया। थिएटर में लगातार रिहर्सल से किरदार को जीने का मौका मिलता है, जबकि फिल्मों में एक सीन शूट करने के बाद उसे भूल जाना पड़ता है।

एक घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि एक सीन में उन्हें स्मिता पाटिल को थप्पड़ मारना था। बिना रिहर्सल के शूटिंग हुई, जिससे वह जोरदार थप्पड़ मार बैठे। यह दृश्य पर्दे पर बेहद प्रभावशाली बना। बाद में उन्होंने स्मिता से माफी मांगते हुए गले लगाया। उस दिन के बाद उन्होंने महिलाओं के साथ कभी ऊंची आवाज में बात न करने का संकल्प लिया।

मध्यम वर्ग की फिल्में आज नहीं बनतीं
रजनीगंधा और गोलमाल जैसी मध्यमवर्गीय भावनाओं को दर्शाने वाली फिल्मों पर टिप्पणी करते हुए पालेकर ने कहा कि आज का मिडिल क्लास वैसा नहीं रहा। हालांकि ओटीटी प्लेटफॉर्म पर ऐसे किरदार अब भी नजर आ जाते हैं। अपने छह दशकों के लंबे करियर के बाद कोविड के दौरान उन्हें लेखन का समय मिला और उन्होंने छह महीने में 450 पन्नों की किताब लिखी।

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