UCC पर बढ़ती बहस के बीच कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा है कि..

कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा कि टेलीविजन और अन्य स्थानों पर जब भड़काऊ मुद्दे पर चर्चा होने लगेगी तो लोग टमाटर की कीमतें 100 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक होने की बात बंद कर देंगे… बेरोजगारी मुद्रास्फीति अर्थव्यवस्था के समक्ष समस्या और अन्य चुनौतियों के मुद्दे फिर हल्के हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार जो कहना चाहती है उसे सामने रखने दीजिए।

 समान नागरिक संहिता (UCC) पर बढ़ती बहस के बीच कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा है कि इसके बारे में बातें सिर्फ हवा-हवाई हैं, क्योंकि इसका कोई ठोस प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने लोगों से जुड़े वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए यह गुगली फेंकी है और वह राजनीतिक हथियार के तौर पर इसका इस्तेमाल कर रही है।

एक साक्षात्कार में पायलट ने यूसीसी पर कहा, ‘एजेंडा क्या है, विधेयक कहां है, हम चर्चा क्या कर रहे हैं? यह सिर्फ हवा-हवाई है… संसद में या कहीं और कोई एजेंडा नहीं है। इसकी परिभाषा क्या है? मैं लैंगिक समानता और लोगों को व्यक्तिगत जीवन या विरासत में हर तरह से न्याय दिलाने के पक्ष में हूं, लेकिन इसका एक उचित प्रारूप होना चाहिए। हम उन मुद्दों के बारे में बात क्यों नहीं कर रहे हैं, जो इस विभाजनकारी एजेंडे के मुकाबले कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं।’

क्या कुछ बोले सचिन पायलट?

उन्होंने कहा कि स्थायी समिति या संसद में इस बारे में कुछ भी नहीं कहा गया है और यह सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी पर आधारित है। पायलट ने कहा, ‘टेलीविजन और अन्य स्थानों पर जब भड़काऊ मुद्दे पर चर्चा होने लगेगी तो लोग टमाटर की कीमतें 100 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक होने की बात बंद कर देंगे… बेरोजगारी, मुद्रास्फीति, अर्थव्यवस्था के समक्ष समस्या और अन्य चुनौतियों के मुद्दे फिर हल्के हो जाते हैं।’

‘जानबूझकर ध्यान भटकाती है केंद्र सरकार’

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार जो कहना चाहती है, उसे सामने रखने दीजिए, क्योंकि अभी सिर्फ विभिन्न प्रतिक्रियाएं सुनने में आ रही हैं। उन्होंने कहा,उन्होंने कहा कि हमें उन मुद्दों पर बात करनी होगी, जो लोगों के लिए अहम हैं। पायलट ने (सरकार ने) गुगली फेंक दी है और अब इस पर बहस करते रहिए। बहस चलती रहेगी। प्रस्ताव के बारे में कोई कुछ नहीं जानता। केंद्र सरकार जानबूझकर ध्यान भटकाती है ताकि महंगाई पर कोई चर्चा न हो। अगर किसी वंचित व्यक्ति, चाहे वह पुरुष हो या महिला, को अधिकार और सम्मान देना है, संपत्ति का अधिकार देना है, सशक्त बनाना है, तो कौन इसका विरोध करेगा, लेकिन उसका कोई ब्लू प्रिंट नहीं है।

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