अलवर : रामगढ़ से सुखवंत सिंह को उम्मीदवार बनाए जाने से बगावती हुए जय आहूजा
रामगढ़ से सुखवंत सिंह को बीजेपी का टिकट मिलने के बाद जय आहूजा सहित उनके खेमे ने बगावत कर दी है। पांचों मंडल अध्यक्षों ने भाजपा से इस्तीफे दे दिए हैं। जय आहूजा ने कार्यकर्ताओ की मीटिंग भी ली, जिसमें उन्होंने साफ तौर पर कहा कि जूते चाटने वालों को ही भाजपा में टिकट मिलेगा। उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति ने पिछले चुनाव में भाजपा के झंडे जलाए और नेतृत्व को गालियां दीं, आज पार्टी ने उसे ही टिकट दे दिया।
भाजपा उम्मीदवार सुखवंत सिंह के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं में नाराजगी साफ देखी जा रही है। 2023 में बीजेपी उम्मीदवार जय आहूजा को हराने में सुखवंत सिंह का ही हाथ रहा। उन्हें पार्टी से निष्कासित किया गया, इसके बाद फिर से सुखवंत की वापसी हुई और अब उपचुनाव में पार्टी ने जय की जगह सुखवंत पर विश्वास व्यक्त किया और उन्हें रामगढ़ सीट से भाजपा उम्मीदवार घोषित कर दिया।
अब जय आहूजा सुखवंत की तरह बगावत पर उतर आए हैं। पार्टी के प्रति वफादारी अब कोई मायने नहीं रखती। जय भी वैसा ही करते हुए दिख रहे हैं, जैसा सुखवंत ने पिछली बार चुनावों में किया था। सुखवंत पर आरोप थे कि वो कांग्रेस के हाथों बीजेपी को हराने के लिए खड़े हुए हैं लेकिन अब ये बगावत किसके इशारे पर होगी। ये तो पार्टी वाले भी जानते हैं। वैसे पहली और दूसरी बार हारकर भी सुखवंत सिंह दूसरे नंबर पर रहे थे। कोई भी पार्टी हो, जीत का आकलन करती है।
पिछली बार सुखवंत को टिकट नहीं देकर पार्टी ने तीन बार रामगढ़ से विधायक रहे ज्ञानदेव आहूजा के भतीजे जय आहूजा को टिकट दिया था लेकिन सुखवंत निर्दलीय चुनाव लड़ गए थे। सुखवंत खुद तो चुनाव नहीं जीत सके लेकिन भाजपा को अवश्य हरवा दिया। उन पर यह भी आरोप लगे कि वे कांग्रेस को जिताने के लिए चुनाव लड़े और उन्हें चुनाव में पैसा भी कांग्रेस ने ही दिया। कुल मिलाकर सुखवंत के चुनाव लड़ने से भाजपा चुनाव हार गई। अब जय आहूजा भी सुखवंत के रास्ते पर ही चल पड़े हैं, देखना यह है कि पार्टी आलाकमान इन बागियों के तेवर कैसे ठंडे करेगा?