अलवर: सरिस्का के साथ वहां के पर्यटन के विकास को लेकर अहम चर्चा
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में आज राजस्थान के वन अधिकारियों की हुई बैठक में सरिस्का को लेकर विस्तृत चर्चा की गई। सरिस्का को लेकर सभी अधिकारी गंभीर दिखाई और किस तरीके से अलवर में टूरिज्म को बढ़ाया जाए इस पर विस्तृत चर्चा की गई।
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने बैठक में सभी अधिकारियों को सरिस्का के विकास का रोड मैप तैयार करने के निर्देश दिए। किस तरीके से यहां का टूरिज्म बढ़ाया जाए। इसको लेकर अधिकारियों से सुझाव मांगे गए और जो समस्याएं हैं। उनके निराकरण पर विशेष विचार किया गया।
भूपेंद्र यादव ने सरिस्का के कोर एरिया में बसे गांवों को लेकर उनका दूसरी स्थान पर विस्थापन और मुआवजा राशि पर भी चर्चा की गई, क्योंकि सरिस्का में बसे ग्रामीणों ने मुआवजा राशि को लेकर कई बार सवाल उठाए। वर्तमान परिस्थितियों में देखते हुए मुआवजा राशि कम है क्योंकि सरिस्का में अभी 5 गांव को ही विस्थापन किया गया है। 6 गांव का विस्थापन प्रक्रिया में चल रहा है। इसमें गति देने के निर्देश दिए गए। बैठक में अधिकारियों को विश्वास दिलाया गया की जो भी परेशानी विभाग के स्तर पर होगी, उसे दूर करने के प्रयास किए जाएंगे, लेकिन लापरवाही किसी भी स्तर पर नहीं होनी चाहिए।
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने सभी अधिकारियों से चर्चा की और उनके स्तर पर सरिस्का के विकास को लेकर अपना विजन भी समझाया और उसके अनुरूप ही कार्य करने के निर्देश दिए गए। सरिस्का को एक्सप्रेस वे से जोड़ने के लिए राजस्थान सरकार के स्तर पर चर्चा की गई। इसके अलावा सरिस्का में जैन मंदिर, अजबगढ़, भानगढ़, विराटनगर सहित अनेक जो ऐतिहासिक स्थल हैं उनका विकास कैसे किया जाए। राजस्थान सरकार के बजट में भतृहरि के विकास धन आवंटित किया गया है, इस पर चर्चा की गई।
मंत्री भूपेंद्र यादव ने सरिस्का के आसपास बसे गांव की महिलाओं को ट्रेनिंग देने पर चर्चा की गई। सरिस्का में बसे गांवों को लेकर विस्तृत चर्चा की गई कि किस तरीके से सरिस्का में बसे गांवों को दूसरी जगह विस्थापित किया जाए। उन गांव में ग्रामीणों की सुविधा मुहैया कराने पर चर्चा की गई।स्थानीय परिस्थितियों को देखकर यहां पर चर्चा की गई, कौन सी राजस्व भूमि है जो सरिस्का के नजदीक है। बैठक में दोनों ही मंत्री शामिल थे। कुछ बिंदु राजस्व अधिकारियों के स्तर पर है जिला कलेक्टर के स्तर पर है। कुछ विषय न्यायालय में विचाराधीन है उनका समाधान किस तरीके से किया जाए।