शराब घोटाला: दिल्ली में 25 ठिकानों पर ED की ताबड़तोड़ छापेमारी

दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति के निर्धारण और कार्यान्वयन में कथित घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने शुक्रवार को फिर एक बड़ी कार्रवाई की गई. केंद्रीय जांच एजेंसी ED ने दिल्ली में 25 से ज्यादा लोकेशन पर सर्च ऑपरेशन चलाया. शहर के कई बड़े शराब कारोबारियों के आवास सहित अन्य ठिकानों पर ईडी ने छापेमारी की है. इससे पहले 16 सितंबर को ईडी ने दिल्ली-एनसीआर, बेंगलुरु, हैदराबाद, नेल्लोर और चेन्नई समेत देशभर में 40 ठिकानों पर छापेमारी की थी. इस दौरान अकेले हैदराबाद में ही 25 ठिकानों पर सेंट्रेल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी की रेड पड़ी थी. इसके बाद 7 अक्टूबर को भी दिल्ली, पंजाब और हैदराबाद में  35 ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय ने छापा मारा था.

ईडी का आबकारी नीति से जुड़ा धन शोधन मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक प्राथमिकी पर आधारित है, जिसमें दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और कुछ नौकरशाहों को आरोपियों के तौर पर नामजद किया गया है. सीबीआई ने 19 अगस्त को इस मामले में सिसोदिया (50), भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी और दिल्ली के पूर्व आबकारी आयुक्त आरव गोपी कृष्ण के दिल्ली स्थित आवास तथा सात राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों में 19 अन्य स्थानों पर छापे मारे थे. अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली दिल्ली सरकार में मनीष सिसोदिया के पास आबकारी और शिक्षा समेत कई विभाग हैं. कथित घोटाले में अब तक 3 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं. इनमें आम आदमी पार्टी के आईटी सेल चीफ विजय नायर और शराब कारोबार से जुड़े समीर महेंद्रू, अभिषेक बोइनपल्ली के नाम शामिल हैं

जानें क्या है पूरा मामला
दरअसल, उपराज्यपाल ने दिल्ली के मुख्य सचिव की एक रिपोर्ट के आधार पर नई आबकारी नीति के निर्धारण और कार्यान्वयन में कथित घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की थी. मुख्य सचिव ने गत 8 जुलाई को अपनी रिपोर्ट एलजी को भेजी थी, जिसमें उन्होंने पिछले साल लागू की गई आबकारी नीति में लापरवाही बरतने के साथ ही नियमों की अनदेखी और इसके कार्यान्वयन में गंभीर चूक के आरोप लगाए थे. इसमें अन्य बातों के साथ-साथ निविदा को अंतिम रूप देने में अनियमितताएं और चुनिंदा विक्रेताओं को टेंडर के बाद लाभ पहुंचाना भी शामिल है.

दिल्ली के मुख्य ​सचिव ने एलजी को भेजी गई अपनी रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया था कि शराब बेचने वालों की लाइसेंस फीस माफ करने से सरकार को 144 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ और आबकारी मंत्री के तौर पर मनीष सिसोदिया ने इन प्रावधानों की अनदेखी की. भाजपा और कांग्रेस ने इस कथित घोटाले का आरोप लगाकर दिल्ली सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया था. विवाद बढ़ने पर दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने नई आबकारी नीति को वापस ले लिया था. इसके बाद सीबीआई ने मामले में एफआईआर दर्ज कर अपनी तफ्तीश शुरू की और इसी आधार पर ईडी ने धन शोधन का केस दर्ज किया.

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