अखिलेश यादव अब 2024 के लोकसभा चुनाव में अधिक सीटें हासिल करने के लिए मैदान में आएंगे नजर

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए जीत हासिल करने के लिए सभी पार्टियां अभी से ही रणनीतियां तैयार करने में जुट गई हैं। बीजेपी ,कांग्रेस से लेकर समाजवादी पार्टी भी अपनी चुनावी रणनीतियां तैयार कर रही है। सपा नेता अब 2024 के लोकसभा चुनाव में अधिक से अधिक सीटें हासिल करने के लिए मैदान में उतरते नजर आएंगे। पार्टी हर मुद्दे पर बीजेपी के खिलाफ आक्रामक रुख अख्तियार करने की रणनीति पर काम कर रही है। सपा के रणनीतिकारों के मुताबिक मैनपुरी लोकसभा और खतौली विधानसभा उपचुनावों की जीत की इस गति को 2024 के लोकसभा चुनाव तक बरकरार रखना चाहती है।

ट्विटर छाप नेता की छवि तोड़ेगें अखिलेश

सपा ने तय किया है कि 2024 के लोकसभा चुनाव तक वह बीजेपी सरकार के खिलाफ अपने राजनीतिक हमले तेज करती रहेगी। सपा के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की छवि सत्तारूढ़ बीजेपी और अन्य दलों द्वारा बार-बार बंद दरवाजों के पीछे बैठने वाले नेता के तौर पर पेश की जाती है। साथ ही साथ उनके लिए कहा जाता है कि वह केवल ट्विटर पर सक्रिय रूप से काम करने तक सीमित रह गए हैं। पार्टी अखिलेश को एक ऐसे नेता की नई छवि देने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रही है जो जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़ा हो।

2024 लोकसभा चुनाव तक यूपी के हर जिले का दौरा करेंगे अखिलेश

हाल ही में हुए मैनपुरी लोकसभा चुनाव के दौरान अखिलेश ने जमीनी स्तर पर काफी मेहनत की है। इसलिए सपा ने भारी मतों के अंतर से इस सीट पर जीत दर्ज की। सपा नेता ने कहा कि मैनपुरी लोकसभा चुनाव में मिली जीत से सपा कार्यकर्ताओं की मेहनत रंग लाई है। तब से पार्टी के रणनीतिकारों ने यह तय कर लिया है कि अखिलेश यादव 2024 के लोकसभा चुनाव तक उत्तर प्रदेश के हर जिले का दौरा करेंगे। इसके अलावा पार्टी बीजेपी सरकार की नीतियों के खिलाफ सड़कों पर उतरकर विरोध करती नजर आएगी। पार्टी ने एक कमेटी का गठन किया गया है जो हर छोटे से छोटे मुद्दे पर नजर रखेगी।

चुनाव में जीत पाने के लिए जनता से जुड़े हर मामले को उठाएगी सपा

सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता आशुतोष वर्मा ने कहा कि पार्टी शुरू से ही जनता के लिए संघर्ष करती आ रही है। लेकिन बीजेपी सांप्रदायिक आधार पर जनता से जुड़े मुद्दों से ध्यान भटकाती है। इसलिए सपा अब सड़क, स्वास्थ्य, कानून व्यवस्था, किसानों की समस्याओं जैसे जन मुद्दों को जिला, तहसील और मंडल स्तर पर उठाएगी। इन सभी मुद्दो पर काम सपा जिलाध्यक्ष की निगरानी में किया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश स्तर पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की कमेटी बनाई गई है। उनकी देखरेख में अब जनता से जुड़े हर मामले को उठाया जाएगा।

ट्विटर छाप नेता की छवि को छोड़ सक्रिय नजर आएंगे अखिलेश

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक आमोदकांत मिश्रा ने कहा कि 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद आजमगढ़ और रामपुर उपचुनाव में सपा की हार हुई और मैनपुरी में भी जीत मिली है। लोकसभा और खतौली विधानसभा उपचुनाव की जीत ने पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भर दिया है। अखिलेश अब समझ गए हैं कि बंद दरवाजों के पीछे की राजनीति अब उनके लिए फायदेमंद नहीं है। इससे लोगों के बीच कोई सकारात्मक संदेश नहीं जाता है। इसी वजह से सपा के वरिष्ठ नेता अब नई राजनीतिक रणनीति बनाने में जुट गए हैं। यही वजह है कि मैनपुरी में चुनावी जीत के बाद अखिलेश खुद प्रदेश के हर जिले में भाजपा को निशाने पर लेते नजर आए हैं।

पार्टी के नेताओं को तरजीह दे रहे हैं अखिलेश

अखिलेश ने कहा कि दूसरी पार्टियां उन पर अपने नेताओं को उतनी तरजीह नहीं देने का आरोप लगाती हैं, जितना उनके पिता दिवंगत मुलायम सिंह यादव देते थे। इस मिथक को तोड़ने के लिए सपा मुखिया अब अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ मजबूती से खड़े नजर आ रहे हैं। हाल ही में सपा मीडिया सेल के कार्यकर्ता मनीष जगन अग्रवाल की गिरफ्तारी के बाद अखिलेश डीजीपी मुख्यालय पहुंचे थे। वह अग्रवाल से मिलने लखनऊ जेल भी पहुंचे थे। सपा प्रमुख इससे पहले जेल में बंद पार्टी के कई पूर्व और वर्तमान विधायकों से मिल चुके है।

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