चने खाने के बाद लोगों को पेट संबंधी समस्याएं बहुत होती हैं, जानें इसके कारण और बचने के उपाय-
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जब प्रोटीन और फाइबर युक्त आहार के सेवन की बात आती है, तो चने का सेवन हम में से ज्यादातर लोगों की पहली पसंद हैं। इसके अलावा भी इनमें कैल्शियम, आयरन, पोटैशियम, विटामिन बी6 और मैग्नीशियम आदि जैसे जरूरी पोषक तत्व बहुत अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं। जो लोग वजन घटाने या बॉडी-बिल्डिंग की कोशिश करते हैं, चने उनकी डाइट का एक अहम हिस्सा हैं। इनका सेवन करने से शरीर से भीतर से मजबूत बनता है। हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत बनती हैं और शारीरिक विकास में मदद मिलती है। लेकिन अक्सर हम देखते हैं कि चने खाने के बाद कुछ लोगों के साथ पाचन संबंधी समस्याएं देखने को मिलती हैं। उन्हें चने पचाने में दिक्कत होती है, जिसकी वजह से उन्हें पेट में गैस, ब्लोटिंग, अपच और कब्ज आदि जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन क्या आपने कभी यह जानने की कोशिश की है कि आखिर ऐसा क्यों होता है और इससे बचने के लिए आप क्या कर सकते हैं? आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. अल्का विजयन ने अपनी एक इंस्टाग्राम पोस्ट में इसके बारे में विस्तार से बताया है, तो चलिए जानते हैं…
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चने खाने के बाद पेट संबंधी समस्याएं क्यों होती हैं-
डॉ. अल्का के अनुसार “पेट संबंधी समस्याएं शरीर में वात दोष बढ़ने के कारण देखने को मिलती हैं। चने की वात प्रकृति बढ़ाने के लिए मुख्य रूप से 2 कारण जिम्मेदार हैं। पहला, इनमें फाइबर की बहुत अच्छी मात्रा होती है और दूसरा, इनमें कुछ प्रकार की चीनी होती हैं, जो पाचन तंत्र में फर्मेंटेशन का कारण बन सकती हैं और पेट में गैस पैदा कर सकती हैं। अधिकांश लोगों में, यह गैस स्वाभाविक रूप से शरीर में वापस अवशोषित हो जाती है या बाहर निकल जाती है। यही कारण है कि चने खाने के बाद आपको बार-बार पाद आती है। लेकिन अधिक संवेदनशील पाचन तंत्र या इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम वाले लोगों में, गैस बड़े पैमाने पर दर्द के रिसेप्टर्स पर दबाव डाल सकती है। इसके परिणामस्वरूप आंत में सूजन और पेट में ऐंठन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।”
इसलिए आयुर्वेद नियमित चने का सेवन करने की सलाह नहीं देता है, लेकिन सप्ताह में अधिकतम 2-3 बार से अधिक इसका सेवन करने की सलाह नहीं देता है।
चने खाने के बाद ब्लोटिंग से बचने के उपाय-
1. रात को सोने से पहले चने को पानी में भिगोकर रख दें। कोशिश करें कि भिगोते समय पानी में 1-2 चम्मच नींबू का रस भी डाल दें। ऐसा करने से यह आसानी से मेटाबॉलाइज हो जाते हैं।
2. जब आप चनों को पकाते हैं या इनकी सब्जी बनाते हैं, तो पकाते समय 1-2 चम्मच तिल के तेल प्रयोग जरूर करें। साथ ही इसमें मसालों में हींग और जीरा का प्रयोग भी करें। इस तरह जब आप चनों को पकाते हैं, तो यह वात शरीर में वात दोष में स्पाइक या असंतुलन का कारण नहीं बनता है।
3. अगर आपका शरीर की प्रकृति अनुवांशिक या जन्म से ही वात दोष की अधिकता वाली है या आपकी आंतों में ड्राइनेस रहती है, जिससे आपको ब्लोटिंग और कब्ज जैसी समस्याएं रहती हैं, तो इस दौरान चने खाने से बचें और एक आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करें। वे आपकी इस स्थिति से निपटने में मदद करेंगे।