मृत्यु के पश्चात् मनुष्य की आत्मा कंहा जाती है, जानकर रह जायेंगे दंग

भौतिक दुनिया से परे अगर आत्महत्या को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखें तो गरुड़पुराण में आत्महत्या करने वाले इंसान के बारे में दिलचस्प उल्लेख मिलता है। दुनिया के अधिकतर धर्मों में कहा गया है कि आत्महत्या करने वाले व्यक्ति की आत्मा पर शैतान अधिकार कर लेता है तथा उसे नर्क की आग में हजारों साल तक जलाता है। लेकिन हिंदू धर्म में इन धर्मों से अलग कई बातें कही गई हैं।
मृत्यु के पश्चात् मनुष्य की आत्मा कंहा जाती है, जानकर रह जायेंगे दंग
दरअसल, पुराणों के अनुसार जन्म और मृत्यु प्रकृति द्वारा पूर्वजन्म के आधार पर निर्धारित कर दी जाती है। जैसे किसी मनुष्य की आयु 50 साल निर्धारित की गई है लेकिन अगर वो जीवन से हताश होकर 30 वर्ष की आयु में ही आत्महत्या कर लेता है तो बाकी के 20 साल उसकी आत्मा मुक्ति के लिए भटकती रहती है। ऐसे में अगर उसकी कोई इच्छा अधूरी छूट गई है तो वो उसे पूरा करने के लिए उसकी आत्मा विभिन्न योनियों में भटकती रहती है।

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यदि आत्महत्या करने वाला व्यक्ति अत्यन्त विवश होकर आत्महत्या कर रहा है तथा उसकी कोई इच्छा अधूरी रह गई है तो उसकी आत्मा मुक्त नहीं हो पाती। ऐसी स्थिति में उसकी आत्मा किसी नीच योनि, भूत, प्रेत, पिशाच जैसी किसी योनि में प्रवेश कर जाती है तथा अपनी उम्र पूरी होने तक इन्हीं योनियों में बंध कर लोगों को पीड़ित करती रहती है। अपनी अधूरी इच्छाएं पूरी करने के लिए कई बार उनकी आत्मा किसी दूसरे मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाती हैं।

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