आखिर किस वजह से नागा साधु क्यों नहीं करते वस्त्र धारण? स्वयं को मानते हैं ईश्वर का देवदूत…

महाकुंभ मेला देश-विदेश में बेहद लोकप्रिय है। इस समागम का आयोजन 12 साल में एक बार होता है। इस महाकुंभ की शुरुआत पौष पूर्णिमा से होती है। वहीं, इसका समापन महाशिवरात्रि के दिन होता है। महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज के संगम किनारे किया जा रहा है। इस दौरान अधिक संख्या में श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि स्नान करने से जातक को सभी तरह के पापों से छुटकारा मिलता है। महाकुंभ में नागा साधु (Naga Sadhu Fact) भी शामिल होते हैं और वे वस्त्र धारण नहीं करते हैं। वे अपने शरीर भस्म लगाकर रहते हैं।

इन कारणों की वजह से रहते हैं निर्वस्त्र

नागा साधु ऐसा मानते हैं कि व्यक्ति निर्वस्त्र जन्म लेता है और यह अवस्था प्राकृतिक है। इसलिए जीवन में सदैव नागा साधु वस्त्र धारण नहीं करते हैं और निर्वस्त्र रहते हैं।  

किसी इंसान को नागा साधु बनने के लिए 12 साल का समय लगता है। नागा पंथ में शामिल होने के लिए इंसान को नागा साधु के बारे में महत्वपूर्ण बातों की जानकारी होना बेहद आवश्यक होता है। कुंभ में अंतिम प्रण लेने के बाद लंगोट का त्याग कर दिया जाता है, जिसके बाद वे जीवन में सदैव निर्वस्त्र रहते हैं।  

नागा साधु कभी भी वस्त्र धारण नहीं करते हैं। वे अपने शरीर पर भस्म लगाकर रहते हैं। ठंड में भी वे वस्त्र धारण नहीं करते हैं। वे लोग स्वयं को भगवान का दूत मानते हैं और भगवान का ध्यान करते हैं।  

नागा साधु दिन में एक बार ही भोजन करते हैं और वे भोजन भी भिक्षा मांग करते हैं। अगर उन्हें किसी दिन 7 घरों में नहीं मिलती है, तो उन्हें भूखा ही रहना पड़ता है।  

महाकुंभ की शुरुआत पौष पूर्णिमा स्नान के साथ होती है, जोकि 13 जनवरी 2025 को है. वहीं महाशिवरात्रि के दिन 26 फरवरी 2024 को अंतिम स्नान के साथ कुंभ पर्व का समापन होगा। इस दौरान शाही स्नान की तिथियां कुछ इस प्रकार रहने वाली हैं।

14 जनवरी 2025 – मकर संक्रांति

29 जनवरी 2025 – मौनी अमावस्या

3 फरवरी 2025 – बसंत पंचमी

12 फरवरी 2025 – माघी पूर्णिमा

26 फरवरी 2025 – महाशिवरात्रि

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