22 साल बाद आज ‘घर लौटेंगे’ भोलेनाथ, वापस मिलेगी ये दुर्लभ मूर्ति
राजस्थान से चुराई गई भगवान शिव की दुर्लभ मूर्ति 22 साल के बाद भारत लाई जा रही है। इस मूर्ति को चुरा लिया गया था और अब काफी प्रयासों के बाद इसे वापस लाया जा रहा है। अब इस मूर्ति को आज भारतीय पुरात्व विभाग (एएसआई) को सौंप दिया जाएगा।
चित्तौड़गढ़ में बरोली स्थित घाटेश्वर मंदिर से फरवरी 1998 में नौंवी सदी की नटराज की इस मूर्ति को चुरा लिया गया था और बाद में तस्करों ने लंदन में भेज दिया था। पत्थर की नटराज/नटेश की यह मूर्ति करीब चार फीट लंबी है और यह काफी दुर्लभ है। 2003 में यह जानकारी मिली थी कि इस मूर्ति को ब्रिटेन में बेच दिया गया है।
लंदन में जब प्रशासन को यह सूचना मिली तो उन्होंने निजी जासूसों के माध्यम से इसे खोजना शुरू किया। लंदन में जिसके पास यह मूर्ति थी, उससे संपर्क किया गया और वह इस मूर्ति को लौटाने के लिए राजी हो गया। वर्ष 2005 में लंदन स्थित भारतीय दूतावास में यह मूर्ति सौंप दी गई।
इसके बाद अगस्त 2007 में एएसआई के विशेषज्ञों ने इंडिया हाउस का दौरा किया और इस मूर्ति की जांच की। उन्होंने पुष्टि की कि यह वही मूर्ति है, जिसे घाटेश्वर मंदिर से चुराया गया था। भारत सरकार के एक अधिकारी के मुताबिक भारतीय संस्कृति को बचाए रखने के प्रयास में विदेश मंत्रालय ने कानून प्रवर्तन एंजेसियों के साथ मिलकर इस मामले की जांच शुरू की थी। इसी का परिणाम है कि अमेरिका, आस्ट्रेलिया, फ्रांस और जर्मनी से भारत की दुर्लभ मूर्तियां व वस्तुएं वापस लाई जा रही हैं।
इसी तरह नवनीत कृष्ण की 17वीं शताब्दी की कांस्य मूर्ति और दूसरी शताब्दी का चूना पत्थर से बना स्तंभ को 15 अगस्त 2019 को अमेरिकी दूतावास द्वारा लौटाया गया था। 15 अगस्त, 2018 को स्कॉटलैंड यार्ड द्वारा बुद्ध की 12 वीं शताब्दी की कांस्य प्रतिमा सौंपी गई थी। ब्रम्हा-ब्राह्मणी मूर्तिकला, जो कि से गुजरात से चुराई गई थी, 2017 में एएसआई में वापस आ गई।