शोपियां के अंतिम गांव में 21 साल बाद गूंजा जय भोलेनाथ, कश्मीरी पंडितों ने किया मंदिर का जीर्णोद्धार

कश्मीर घाटी में बदले माहौल के बीच कश्मीरी पंडित फिर अपनी जड़ों से जुड़ने लगे हैं। आतंकवाद के दौर में वे जिन घरों और जमीनों को मजबूरन छोड़ आए थे, वे वहां दोबारा बसने के लिए उत्साहित हैं। खंडहर हो चुके अपनी धार्मिक आस्थाओं के केंद्र मंदिरों का जीर्णोद्धार कर रहे हैं। शनिवार को शोपियां जिले के अंतिम गांव नदीमर्ग में भी करीब 21 साल बाद भगवान भोलेनाथ के जयकारे गूंजे।

गांव लौटे कश्मीरी पंडितों ने यहां के ऐतिहासिक अर्धनारीश्वर मंदिर में शिवलिंग और मूर्तियों की स्थापना की। पूरे अनुष्ठान को विधिविधान के साथ पूजा-अर्चना कर पूरा किया गया। हवन यज्ञ में आहुतियां डालकर घाटी में सुख-शांति की कामना की। पूजा में शामिल हुए भूषण लाल और पूजा ने कहा, मंदिर का जीर्णोद्धार आने वाली पीढ़ियों के लिए आशापूर्ण भविष्य का प्रतीक है। मंदिर को संवारने में सेना ने काफी मदद की है।

अभी बहुत काम होना बाकी है, जिसमें जिला प्रशासन से मदद की मांग की है। 23 मार्च, 2003 को आतंकियों की ओर से किए गए नरसंहार के बाद कश्मीरी हिंदू समुदाय गांव को छोड़कर पलायन कर गया था। 

बसाने और सुरक्षा की मांग
कश्मीरी विस्थापितों ने मौके पर पहुंचे डीसी शोपियां मोहम्मद शाहिद सलीम डार से मंदिर के जीर्णोद्धार के साथ ही उनके घरों की रखरखाव, उनके लिए कॉलोनी बसाने और सुरक्षा उपलब्ध कराने की मांग की। 

मुस्लिम समुदाय ने किया स्वागत, कहा-उम्मीद है सभी हिंदू भाई गांव लौटेंगे
कश्मीरी पंडितों का गांव के मुस्लिम भाईचारे ने स्वागत किया। उनके प्रति सम्मान दिखाया और भोजन की व्यवस्था की। स्थानीय निवासी गुलाम हसन ने कहा, ‘कश्मीरी पंडितों के जाने से हमारे दिलों में खालीपन आ गया था। हमारा बचपन उनके साथ रंगीन यादों से भरा  है। उनके पलायन ने हमारे जीवन में अंधेरा ला दिया था। अब उम्मीद करते हैं कि सभी विस्थापित पंडित परिवार वापस अपने गांव लौटेंगे। भाईचारे को फिर स्थापित करेंगे।

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