डेंगू होने पर अपनाये ये तरीका नहीं जाएगी जान

डेंगू का मच्छर पहली बार काटेगा तो आपको डेंगू नहीं होगा, बल्कि वह उस परजीवी से जिंदगीभर के लिए आपको सुरक्षित करेगा। लेकिन डेंगू परजीवी के चार टाइप में से किसी अन्य ने काटा तो 12 दिन बाद इसका असर दिखने लगेगा और आप डेंगू से पीड़ित हो जाएंगे। इस बीमारी को शरीर में फ्ल्यूड्स की मात्रा को कंट्रोल करके ही ठीक किया जा सकता है। डॉक्टरों के मुताबिक डेंगू होने पर खूब पानी पियें और ड्रिप से फ्ल्यूड्स चढ़वाएं।डेंगू

डेंगू परजीवी के चार प्रकार

– सिरोटाइप एक, दो, तीन व चार

पहली बार मच्छर ने काटा तो नहीं होगा डेंगू

– डेंगू का मच्छर जब पहली बार काटता है तो खून में उस परजीवी के खिलाफ एंटीबॉडी बन जाती है। यह एंटीबॉडी उस परजीवी के खिलाफ लड़ती है, जिससे केवल बुखार आता है और वह ठीक हो जाता है। लेकिन यह परजीवी व्यक्ति को उसी टाइप के होने वाले डेंगू से जिंदगीभर के लिए सुरक्षित कर देता है।

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ऐसे समझें इसे

यदि डेंगू परजीवी के सिरोटाइप-1 ने किसी को पहली बार काटा तो एंटीबॉडी बनने के कारण केवल साधारण बुखार आएगा, जो जल्द ही ठीक हो जाता है। इसके बाद जिंदगी में सिरोटाइप-1 का मच्छर कभी भी उसी व्यक्ति को कटेगा तो डेंगू नहीं होगा, बस हल्का बुखार आएगा।

– वहीं, यदि डेंगू परजीवी के दूसरे टाइप जैसे सिरोटाइप-2, 3 या 4 ने मच्छर के काटने पर खून में प्रवेश किया तो 12 दिन बाद व्यक्ति को बुखार आना शुरू हो जाएगा। साथ ही शरीर में दर्द की शिकायत रहेगी। जिससे मरीज को डेंगू हो जाएगा। डेंगू का सिरोटाइप-2 सबसे अधिक खतरनाक होता है।

क्या होगा, यदि डेंगू है

डेंगू होने पर शरीर में फ्ल्यूड्स की कमी हो जाती है। फ्ल्यूड की शरीर में मात्रा जानने के लिए एचसीटी (हीमोक्रिट बेस थैरेपी) टेस्ट कराया जाता है। डेंगू होने पर प्लेटलेट्स की कमी भी होने लगती है। स्वस्थ व्यक्ति के खून में पौने दो लाख प्लेटलेट्स होते हैं, डेंगू होने पर इनकी संख्या तेजी से घटने लगती है।

क्या करें

मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अव्यक्त अग्रवाल का कहना है कि डेंगू पीड़ित पूरी तरह ठीक हो सकता है। इसके लिए मरीज और डॉक्टर दोनों को जागरुक होना आवश्यक है। डेंगू होने पर प्लेटलेट्स की कमी को लेकर काफी चिंता जताई जाती है, लेकिन हकीकत यह है कि डेंगू में प्लेटलेट्स की कमी की बजाए अधिक चिंता शरीर में फ्ल्यूड्स की कमी की करनी चाहिए।

डेंगू पीड़ित को अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए। उस मरीज का हीमोक्रिट बेस थैरेपी टेस्ट करना चाहिए। इससे शरीर में फ्ल्यूड्स की कमी के बारे में पता चलता है। फ्ल्यूड्स की कमी होने पर अंदरूनी अंगों में खून का रिसाव शुरू हो जाता है। इस पर ही नियंत्रण सबसे अधिक आवश्यक होता है। फ्ल्यूड्स के कंट्रोल होने पर डेंगू ठीक हो जाता है।

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