इससे पहले कि मोनिका और अबू पुर्तगाल से निकल पाते 20 सितंबर 2002 को इंटरपोल ने दोनों को लिस्बन से गिरफ्तार कर लिया। दोनों को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पुर्तगाल में घुसने के आरोप में जेल भी जाना पड़ा। साल 2006 में एक भारतीय कोर्ट ने मोनिका बेदी को जाली नाम से पासपोर्ट बनाने का दोषी पाया था। साल 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने मोनिका की सजा तो बरकरार रखी लेकिन उसकी अवधि थोड़ी कम कर दी क्योंकि वह पहले ही सजा काट चुकी थीं। फिलहाल मोनिका बेदी टीवी और शोज में व्यस्त हैं।