भारत के एक टाइगर ने 9 महीनों में 3000 किमी. का सफर तय किया, अभी भी है हमसफर के इंतजार में

प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली। भारत के एक टाइगर ने अनजाने में एक खास रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है। वॉकर नाम के इस टाइगर ने महाराष्ट्र के सात जिलों और तेलांगना के कुछ हिस्सों से होते हुए 9 महीनों में 3000 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर ली है और इससे पहले किसी टाइगर ने ऐसा कारनामा नहीं किया है।

वॉकर को पिछले साल फरवरी में एक रेडियो कॉलर लगाया गया था और ये टाइगर लगातार जंगलों की यात्रा करता रहा। जीपीएस सैटेलाइट के सहारे इसे हर घंटे ट्रैक किया जा रहा था और अपनी पूरी यात्रा के दौरान इस टाइगर ने 5000 नई लोकेशन्स पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई।

नौ महीनों की यात्रा के बाद मार्च के महीने में महाराष्ट्र के अभायरण्य में ये टाइगर सेटल डाउन हो गया था। इस रेडियो कॉलर को इस साल अप्रैल में हटा लिया गया था। 205 स्क्वायर किलोमीटर के दायरे में फैले ज्ञानगंगा अभयारण्य में नीले बैल, जंगली सूअर, चीते, मोर और हिरण जैसे जानवर भी पाए जाते हैं।

पिछली सर्दियों में और इस साल गर्मियों के सीजन में भी वॉकर नदियों, हाईवे, खेत-खलिहानों में यात्रा करता रहा। महाराष्ट्र में सर्दियों के सीजन में कॉटन उगाया जाता है और इसके चलते वॉकर को खेतों में छिपने में मदद मिली, वो ज्यादातर रात के समय ही यात्रा करता था और इस दौरान उसने जंगली सूअरों जैसे जानवरों को खाकर अपना गुजारा किया। इस जगह के प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि कई जानवरों के बीच वॉकर यहां पहला टाइगर होगा।

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यहां का प्रशासन इस बात पर भी सोच-विचार कर रहा है कि क्या इस अभयारण्य में एक फीमेल टाइगर को भी लाना ठीक होगा या नहीं, महाराष्ट्र के सीनियर फॉरेस्ट अधिकारी नितिन काकोडकर ने बीबीसी के साथ बातचीत में कहा कि ये बाघ शायद शिकार, बसने के लिए क्षेत्र या किसी साथी की तलाश में था। उसके पास कोई क्षेत्रीय मुद्दे नहीं हैं और उसके पास पर्याप्त शिकार हैं।

उन्होंने आगे कहा कि हालांकि यहां बाघिन को लेकर आने का फैसला आसान नहीं होगा क्योंकि ये एक बड़ा अभायरण्य नहीं है। इसके आसपास खेत-खलिहान मौजूद हैं और अगर यहां वॉकर बच्चे पैदा करता है तो वे इस जगह से अलग-थलग होने की कोशिश करेंगे और छोटे अभयारण्य होने के चलते उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

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