अमृतसर में श्रद्धा और हर्षोल्लास से मनाया दिवाली का पर्व!

अमृतसर की दिवाली काफी मशहूर है। इसलिए कहा जाता है – दाल रोटी घर की, दीवाली अमृतसर की। सुबह से ही श्रद्धालु अपने परिवारों के साथ श्री हरिमंदिर साहिब और श्री दुर्ग्याणा मंदिर में माथा टेकने के लिए पहुंचे।

दिवाली का त्योहार गुरु नगरी अमृतसर में बढ़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। दूर दूर से श्रद्धालु बढ़ी संख्या में श्री हरिमंदिर साहिब माथा टेकने के लिए पहुंच रहे हैं। उधर श्री दुर्ग्याणा मंदिर में भी सुबह से लेकर शाम तक श्रद्धालु ठाकुर जी व मां लक्ष्मी जी के दर्शन करने पहुंचे रहे। सुबह से ही श्री हरिमंदिर साहिब में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा हुआ है। 

दिवाली का त्योहर सिख पंथ में बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाया जाता है। छवें गुरु श्री गुरु हरिगोबिंद साहिब जी दिवाली के ही दिन 52 राजाओं समेत ग्वालियर के किले से रिहा होकर श्री अमृतसर पहुंचे थे। तब बाबा बुढ्ढा जी की अगुआई में सिख पंथ की ओर से दीपमाला की गई थी। तभी से दीवाली को बंदी छोड़ दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। 

अमृतसर की दिवाली काफी मशहूर है। इसलिए कहा जाता है – दाल रोटी घर की, दीवाली अमृतसर की। सुबह से ही श्रद्धालु अपने परिवारों के साथ श्री हरिमंदिर साहिब और श्री दुर्ग्याणा मंदिर में माथा टेकने के लिए पहुंच रहे है। संगत हरिमंदिर साहिब के पवित्र सरोवर में स्नान करके गुरबाणी का श्रवण कर रही थी। 

श्री हरिमंदिर साहिब, श्री अकाल तख्त और हरिमंदिर साहिब परिसर में स्थित इमारतों पर रंग बरंगी लड़िया लगाकर रोशनी की गई है। देर शाम श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी ज्ञानी रघबीर सिंह ने श्री हरिमंदिर साहिब की ढियोडी से पंथ के नाम दीवाली पर संदेश जारी किया। 

कहा कि सिख कौम के संगठनों में एकता की जरूरत है और पंथ की चुनौतियों का मिल कर मुकाबला करना होगा। इसी तरह सरबत खालसा के जत्थेदार ध्यान सिंह मंड ने भी सिख पंथ के नाम सदेश जारी करते हुए बंदी सिंघों की रिहाई के लिए आवाज उठाई।

बंदी छोड़ दिवस पर ज्ञानी रघबीर सिंह ने बधाई देते हुए कहा कि हमे गुरु साहिब की शिक्षाओं पर चलते हुए अपना जीवन व्यतीत करना चाहिए। यह इतिहास की बड़ी घटना है कि गुरु साहिब दीवाली वाले दिन 52 राजाओं को ग्वालियर के किले से रिहा करवाकर बाहर लाए थे।

देर शाम हजारों की संख्या में श्रद्धालु और एसजीपीसी कर्मचारियों ने श्री हरिमंदिर साहिब में दीपमाला की। यह एक मनमोहक दृश्य था। रात को संगत की ओर से आतिशबाजी चलाई, गई जो देखने योग्य थी। हरिमंदिर साहिब में श्रद्धालुओं की ओर से ढेड़ लाख से अधिक देशी घी के दीए जला कर दीपमाली की।

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