बड़ी खबर: एक युवक ने पीएम मोदी को दी बड़ी चुनौती, खुद को बता रहा 2019 का पीएम

भले ही बीजेपी के साथ गठबंधन करने के बाद बिहार सीएम नीतीश कुमार 2019 के लिए पीएम मोदी को अजेय मानते हों पर नोएडा का एक युवक ऐसा नहीं सोचता। इस युवक ने दावा किया है कि वह 2019 के लोकसभा चुनावों में पीएम मोदी के खिलाफ एक तगड़ा दावेदार होगा। 

एक युवक ने पीएम मोदी को दी बड़ी चुनौती, खुद को बता रहा 2019 का पीएम

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इस युवक का नाम विनोद पवार है और इसकी उम्र 36 साल है। विनोद कुमार की बातें आपको मजाक लग सकती हैं लेकिन वह खुद को कतई गंभीरता से ले रहे हैं। विनोद पवार का दावा है कि किसी ज्योतिषी ने यह भविष्यवाणी की है कि वह 2019 में पीएम पद के तगड़े दावेदार होंगे। पवार ने पीएम मोदी की प्रतिद्वंद्विता में अपने कुछ पोस्टर भी तैयार किए हैं। 

विनोद नोएडा के सेक्टर 50 में एक कोचिंग सेंटर चलाते हैं। विनोद ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, ‘देश गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी का भुगतान नहीं किया जा रहा है। सीमा पर तनाव है। ऐसे कई मुद्दे हैं जिनके समाधान की जरूरत है। मैं देश में आर्थिक विकास और समृद्धि लाने के लिए प्रधानमंत्री बनना चाहता हूं।’

पवार दूसरी बार राजनीति में अपना भाग्य आजमा रहे हैं। जनवरी 2017 में पवार ने नोएडा विधानसभा से विधायक के चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया था। नामांकन के दौरान पवार ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को अपना दोस्त बताया था। इसके अलावा उन्होंने अपने प्रस्तावकों के रूप में महात्मा गांधी समेत तमाम महान स्वतंत्रता सेनानियों का नाम दिया था। 

हालांकि विनोद पवार चुनाव नहीं लड़ पाए थे। चुनाव आयोग ने पर्याप्त जानकारी नहीं देने की वजह से उनका नामांकन खारिज कर दिया था। गांधी के अलावा पवार ने अपने प्रस्तावकों के रूप में स्वामी विवेकानंद, मार्टिन लूथर किंग जूनियर, आंबेडकर, एपीजे अब्दुल कलाम, नेल्सन मंडेला, सुभाष चंद्र बोस, गौतम बुद्ध, अब्राहम लिंकन और अन्य का नाम दिया था। नियम के मुताबिक किसी निर्दलीय उम्मीदवार को अपने शपथपत्र पर 10 प्रस्तावकों का हस्ताक्षर देना होता है। प्रस्तावक उसी विधानसभा के वोटर भी होने चाहिए। 

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हालांकि विनोद प्रस्तावकों के तौर पर ऐसे नाम देने के अपने कदम को अभी भी सही ठहरा रहे हैं। विनोद पवार सवाल करते हैं, ‘जब मेरे पास स्वतंत्रता सेनानी और दूसरे विद्वानों का नाम देने के लिए है तो मैं क्यों स्थानीय लोगों का नाम प्रस्तावक के तौर पर दूं।’

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