पटना. बिहार के नालंदा जिले के राजगीर में आज भी जरासंध का अखाड़ा मौजूद है। इस अखाड़े में 27 दिनों तक जरासंध और भीम के बीच मलयुद्ध हुआ था। इस मलयुद्ध में भगवान कृष्ण के इशारे पर भीम ने जरासंध के दोनों पैरों को दो भागों में चीरकर मार डाला था।27 दिन तक हुआ था युद्ध…
– बताया जाता है कि उस समय मगध की राजधानी राजगृह हुआ करती थी। जो अब राजगीर के नाम से जाना जाता है।
– इस रणभूमि में भगवान कृष्ण को लेकर आए थे और मगध के सम्राट जरासंध को भीम से मलयुद्ध करने के लिए कहा था।
– जरासंध और कृष्ण की लड़ाई 26 दिनों तक चली और 27वें दिन भगवान कृष्ण के इशारे पर भीम ने जरासंध के दोनों पैरों को चीर डाला था। जिससे अखाड़े में ही जरासंध की मौत हो गई।
अखाड़े में जरासंध रोज डालता था दूध
– बताया जाता है कि जरासंध को इस अखाड़े से बेहद लगाव था। जब जरासंध अखाड़ा में रहता था तो दोनों बेटियां दूध पीने के लिए भेजती थी।
– जरासंध दूध को पीता नहीं था। वह रणभूमि के अखाड़े की सिंचाई करता था। जिससे के कारण अखाड़े की मिट्टी दुधिया रंग की होती थी।
– आज भी अखाड़े की मिटटी दुधिया रंग की है। यहां पर रोज सैकड़ों पर्यटक देखने के लिए आते हैं।
कंस का ससुर था जरासंध
– जरासंध मथुरा के राजा कंस का ससुर एवं परम मित्र था। उसकी दोनों पुत्रियों आसित व प्रापित का विवाह कंस से हुआ था।
– श्रीकृष्ण से कंस वध का प्रतिशोध लेने के लिए उसने 17 बार मथुरा पर चढ़ाई की, लेकिन हर बार उसे असफल होना पड़ा।
– जरासंध के भय से अनेक राजा अपने राज्य छोड़ कर भाग गए थे। शिशुपाल जरासंध का सेनापति था।
100 राजाओं का करना चाहता था वध
– जरासंध भगवान शंकर का परम भक्त था। उसने अपने पराक्रम से 86 राजाओं को बंदी बना लिया था।
– बंदी राजाओं को उसने पहाड़ी किले में कैद कर लिया था।
– जरासंध 100 को बंदी बनाकर उनकी बलि देना चाहता था, जिससे कि वह चक्रवर्ती सम्राट बन सके।