अब 5 हजार स्क्वेयर फीट वाली बिल्डिंग पर सोलर सिस्टम लगाना जरूरी, एनअोसी जरूरी

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लुधियाना. अब 5 हजार स्कवेयर फीट से बड़ी कॉमर्शियल बिल्डिंग की कंस्ट्रक्शन के दौरान रूफ टॉप सोलर सिस्टम की भी व्यवस्था साथ में करनी होगी। ये रूफ टॉप सोलर सिस्टम आपकी बिल्डिंग में एनर्जी की अहम जरूरतों को पूरा करेगा।अब किसी भी़ शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, होटल, ग्रुप हाउसिंग कॉम्प्लेक्स और हॉस्पिटल का नक्शा पास करवाने के दौरान पंजाब एनर्जी कंजर्वेशन बिल्डिंग कोड (पंजाब ईसीबीसी) की भी एनओसी अनिवार्य हो गई है। 100 किलोवॉट या इससे अधिक बिजली लोड की जरूरत वाले कॉमर्शियल बिल्डिंग प्लान इसके दायरे में आएंगे। साथ ही जिस बिल्डिंग का कवर एरिया 5 हजार स्कवेयर फीट से अधिक होगा, उस पर भी पंजाब ईसीबीसी लागू होगा। पंजाब ईसीबीसी के दायरे में आने से ऐसी बिल्डिंग के बिजली खर्च में करीब 30 से 40 फीसदी की कमी आएगी। पंजाब सरकार ने 25 मई 2016 में इस नए बिल्डिंग कोड को कैबिनेट में मंजूरी दी गई थी, लेकिन इसके बाद इसको अमल में नहीं लाया जा सका था। अब इस कानून को सख्ती से लागू किया जा सके, इसके लिए पेडा एक एजेंसी बनाने की प्लानिंग कर रहा है।देश में ग्रीन बिल्डिंग्स का अधिक से अधिक निर्माण कर बिजली खपत को कम किए जा सके, इसके लिए यूनाइटेड नेशन की ओर से पूरा फंड मुहैया करवाया जा रहा है। इसके प्रसार में ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी पूरे देश में काम कर रही है।
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ईसीबीसी को लागू कराने के लिए हो रहे सेमिनार
पंजाब एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी ने पंजाब ईसीबीसी को लागू करने के लिए नगर निगम, पुडा गलाडा में इस एक्ट की पूरी जानकारी देने के लिए सेमिनार का सिलसिला शुरू कर दिया है। इसमें इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ आर्किटेक्ट से सीनियर आर्किटेक्ट नए एक्ट को लागू करने और इसकी विस्तृत जानकारी म्यूनिसिपल टाउन प्लानर, अस्सिटेंट टाउन प्लानर टाउन प्लानरों को दे रहे हैं। इस सेशन में खासकर हीटिंग, वेंटिलेशन, एयर कंडीशनिंग और लाइटनिंग में इस सिस्टम के फायदे गिनाए जाते हैं। नए एक्ट के दायरे में आने वाले साइट प्लान नक्शे किसी झमेले में फंसे इसके लिए नगर निगम, पेडा और गलाडा एक संयुक्त एजेंसी भी बनाने की प्लानिंग कर रही है।नई व्यवस्था
– कम करनी है बिजली खपत– कोड को लागू करना जरूरीपंजाब ईसीबीसी को लागू करने वाले डिपार्टमेंट को इसकी अधिक से अधिक जानकारी इसके फायदे समझाने के लिए लगातार सेमिनार पुडा, गलाडा निगमों में किए जा रहे हैं। बिजली की खपत को अधिक से अधिक कम करना इस एक्ट का अहम मकसद है। संजयगोयल, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ आर्किटेक्ट, चंडीगढ़-पंजाब चैप्टरबिल्डिंग एरिया और इसमें तयशुदा बिजली लोड की कैटेगरी में आने वाली बिल्डिंग के लिए नए बिल्डिंग कोड को लागू करना अनिवार्य कर दिया गया है। अब इसको अमल में लाने के लिए पेडा की ओर से सेमिनार का सिलसिला शुरू हो गया है। विजयकुमार, एटीपी नगर निगमये होंगे फायदेएक किलोवाट बिजली के लिए सोलर पैनल सिस्टम लगाने पर करीब एक से डेढ़ लाख रुपए तक का खर्च है। जहां इसके लिए 30 फीसदी से अधिक तक की सब्सिडी सरकार दे रही है, वहीं बैंकों में भी इस प्रोजेक्ट के लिए बेहद कम दर पर लोन उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। ये सिस्टम लगाने से बिजली खपत में आने वाली कमी के लिहाज से चार से पांच साल में इस खर्च को पूरा कर लेने का दावा भी साथ में किया जाता है।