छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में ED का बड़ा एक्शन

छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को तगड़ा कदम उठाते हुए पूर्व एक्साइज कमिश्नर निरंजन दास, 30 अन्य एक्साइज अधिकारियों और तीन प्रमुख डिस्टिलरीज की 100 करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्तियां जब्त कर लीं। यह कार्रवाई पूर्व कांग्रेस सरकार के समय हुए 2,800 करोड़ रुपए के कथित घोटाले की जांच का हिस्सा है।
ईडी का दावा है कि राज्य के वरिष्ठ नौकरशाहों और राजनीतिक हस्तियों के एक आपराधिक सिंडिकेट ने 2019 से 2023 तक एक्साइज विभाग को पूरी तरह से अपने कब्जे में ले लिया था। जब्त की गई संपत्तियों में 78 रियल एस्टेट प्रॉपर्टी में लग्जरी बंगले, प्रीमियम कॉम्प्लेक्स में फ्लैट, कमर्शियल शॉप और कृषि भूमि शामिल हैं।
इसके अलावा 197 इनवेस्टमेंट्स भी अटैच किए गए, जिनमें फिक्स्ड डिपॉजिट, बैंक बैलेंस, लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी और शेयर-म्यूचुअल फंड का पोर्टफोलियो है।
कहां हैं घोटाले की जड़ें?
ईडी के मुताबिक, इनमें से 38.21 करोड़ रुपए की संपत्तियां निरंजन दास और 30 अन्य एक्साइज अधिकारियों की हैं। दास एक आईएएस अधिकारी हैं। एजेंसी ने कहा कि यह जब्ती उन अधिकारियों की गहरी मिलीभगत को सामने लाती है। वह राज्य की राजस्व सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालते थे।
दूसरी तरफ, 68.16 करोड़ रुपए की संपत्तियां तीन प्रमुख छत्तीसगढ़ आधारित डिस्टिलरीज की हैं। इनके नाम छत्तीसगढ़ डिस्टिलरीज लिमिटेड, भाटिया वाइन मर्चेंट्स प्राइवेट लिमिटेड और वेलकम डिस्टिलरीज प्राइवेट लिमिटेड हैं।
ईडी का आरोप है कि दास और अरुण पति त्रिपाठी (तत्कालीन एमडी, छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड) ने राज्य नियंत्रण को बायपास करते हुए एक समानांतर एक्साइज सिस्टम चलाया, जिससे बड़ी अवैध कमाई हुई।
नई चार्जशीट में सिंडिकेट का खुलासा
ईडी ने 26 दिसंबर को इस मामले में नई चार्जशीट दाखिल की, जिसमें 2019-2023 के बीच एक्साइज विभाग में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का जिक्र है। इससे 2,883 करोड़ रुपए के अपराध की आय का पता चला है।
जांच से पता चला कि एक सुव्यवस्थित आपराधिक सिंडिकेट ने राज्य की शराब नीति को व्यक्तिगत फायदे के लिए तोड़-मरोड़ दिया। इसमें अवैध कमीशन और बिना हिसाब की शराब बिक्री जैसे कई स्तर शामिल थे।
कुल 81 लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल, निरंजन दास, पूर्व जॉइंट सेक्रेटरी अनिल तूतेजा (रिटायर्ड आईएएस), पूर्व एक्साइज मंत्री कवासी लाखमा और मुख्यमंत्री कार्यालय की पूर्व डिप्टी सेक्रेटरी सौम्या चौरसिया शामिल हैं। इसके अलावा रायपुर मेयर अयाज ढेबर के बड़े भाई अनवर ढेबर, तीनों डिस्टिलरीज और कुछ अन्य निजी व्यक्ति भी आरोपी हैं।
कई प्रशासनिक अधिकारी शामिल
ईडी ने कहा कि जांच में राज्य की तत्कालीन प्रशासनिक और राजनीतिक व्यवस्था में गहरी साजिश का पता चला है। चैतन्य बघेल और लाखमा पर नीति को मंजूरी देने और अवैध फंड का इस्तेमाल अपने कारोबार व रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में करने का आरोप है। सौम्या चौरसिया को अवैध नकदी हैंडल करने और एक्साइज विभाग में अनुकूल अधिकारियों की नियुक्ति का मुख्य समन्वयक बताया गया है।
एजेंसी के मुताबिक, एक्साइज अधिकारियों को अपने इलाके में शराब बिक्री की अनुमति देने के लिए प्रति केस 140 रुपए का फिक्स्ड कमीशन मिलता था। अकेले निरंजन दास ने घोटाले को सुविधा देने के लिए हर महीने 50 लाख रुपए की रिश्वत ली और इससे 18 करोड़ रुपए से ज्यादा की अपराध आय हासिल की।
घोटाले के चार मुख्य चैनल
सिंडिकेट ने शराब व्यापार से अवैध कमाई चार तरीकों से की है। अव्वल, अवैध कमीशन; दूसरा, बिना हिसाब की बिक्री; तीसरा, कार्टेल कमीशन; और चौथा, एफएल-10ए लाइसेंस से विदेशी शराब निर्माताओं से कमीशन वसूलना। ईडी का कहना है कि यह पूरा सिस्टम राज्य नियंत्रण को चकमा देने के लिए बनाया गया था।





