क्या भाजपा ज्वाइन करेंगे दिग्विजय सिंह? CM मोहन के ऑफर पर दिग्गी राजा ने दिया ये जवाब

भोपाल : कांग्रेस नेता व पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह आरएसएस की तारीफ करके भले ही कांग्रेस नेताओं के निशाने पर आ गए हो, लेकिन भाजपा में उनकी जमकर तारीफ हो रही है। जहां मंत्री विजयवर्गीय ने उनकी तुलना सरदार पटेल से की है, वहीं प्रदेश के मुखिया मोहन यादव ने उन्हें भाजपा में आने का न्योता तक दे डाला। सीएम के इस ऑफर के बाद प्रदेश की राजनीति में नई बहस छिड़ गई है।
RSS-भाजपा की संगठनात्मक शक्ति की तारीफ
दिग्विजय सिंह ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पुरानी तस्वीर साझा की थी। इस तस्वीर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फर्श पर आगे की ओर बैठे दिख रहे हैं, जबकि उनके पीछे भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी कुर्सी पर बैठे नजर आते हैं। इस तस्वीर के साथ दिग्विजय सिंह ने लिखा कि यह RSS-भाजपा की संगठनात्मक शक्ति को दर्शाती है, जहां एक जमीनी स्वयंसेवक और कार्यकर्ता आगे चलकर प्रदेश का मुख्यमंत्री और देश का प्रधानमंत्री बनता है। उन्होंने इसे संगठन की ताकत बताते हुए “जय सियाराम” लिखा।
विवाद के बाद सफाई
पोस्ट सामने आने के बाद राजनीतिक हलकों में इसे लेकर विवाद खड़ा हो गया। आलोचनाओं के बीच दिग्विजय सिंह ने स्पष्ट किया कि उन्होंने केवल संगठन और उसकी कार्यशैली की शक्ति की तारीफ की है। उन्होंने यह भी कहा कि इसके बावजूद वह RSS और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के घोर विरोधी बने हुए हैं।
मुख्यमंत्री मोहन यादव का बयान
इधर दिग्विजय सिंह को आरएसएस की तारीफ करते देख सीएम मोहन खुश हो गए। उन्होंने रविवार को इंदौर में एक समाचार चैनल से बातचीत में कहा कि भाजपा वास्तव में तारीफ के काबिल है। उन्होंने दिग्विजय सिंह को बधाई देते हुए कहा, “दिग्विजय सिंह जी को भी बधाई। आइए, भाजपा में आपका स्वागत है।” मुख्यमंत्री के इस बयान से राजनीति में हड़कंप मच गया।
दिग्विजय सिंह का सधा हुआ जवाब
हालांकि दिग्विजय सिंह की प्रतिक्रिया का सबको इंतजार था, जो आखिरकार खत्म भी हो गया। कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में शामिल होने के बाद रविवार शाम भोपाल पहुंचे दिग्विजय सिंह से जब मुख्यमंत्री के इस प्रस्ताव पर सवाल किया गया, तो उन्होंने केवल “अरे छोड़िए” कहकर आगे बढ़ना ही मुनासिब समझा। उन्होंने न तो प्रस्ताव पर विस्तार से प्रतिक्रिया दी और न ही किसी तरह की राजनीतिक चर्चा को आगे बढ़ाया।
राजनीतिक मायने
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक दिग्विजय सिंह का यह संक्षिप्त जवाब ही बहुत कुछ कह गया। इसे मुख्यमंत्री मोहन यादव के भाजपा में शामिल होने के प्रस्ताव को सीधे तौर पर ठुकराने के रूप में देखा जा रहा है। फिलहाल यह मामला बयान और जवाब तक सीमित है, लेकिन इसने मध्य प्रदेश की राजनीति में नई चर्चाओं को जरूर जन्म दे दिया है।





