पांच से आठ जनवरी तक चलेगा शीतकालीन सत्र, विजेंद्र गुप्ता बोले- नए साल की पहली कसौटी

नए साल की शुरुआत के साथ ही विधानसभा का शीतकालीन सत्र दिल्ली की सियासत और प्रशासन के लिए अहम इम्तिहान होगा। विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि 2026 की पहली विधानसभा बैठक ऐसे समय में हो रही है, जब सरकार से जवाब, पारदर्शिता और उम्मीदें पहले से ज्यादा हैं। दिल्लीवासियों को उम्मीद है कि सवाल-जवाब, स्पेशल मेंशन से कई गंभीर और जनहित से जुड़े मुद्दे तत्काल हल होंगे।

दिल्ली विधानसभा का शीतकालीन सत्र 5 से 8 जनवरी तक चलेगा। सत्र की शुरुआत 5 जनवरी को सुबह 11 बजे उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के अभिभाषण से होगी, इसके बाद सदन की नियमित कार्यवाही शुरू होगी। पहले दिन बैठक सुबह होगी, जबकि बाद के दिनों में सदन की कार्यवाही दोपहर 2 बजे से चलेगी। विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि यह सत्र सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि 2026 में सरकार के कामकाज की पहली बड़ी समीक्षा होगी। सीमित समय और बढ़ी हुई जन अपेक्षाओं के बीच विकास कार्यों, प्रशासनिक दक्षता और वित्तीय अनुशासन जैसे मुद्दे केंद्र में रहेंगे।

जनहित के जुड़े मुद्दे लेकर आएं विधायक
विधानसभा अध्यक्ष ने शीतकालीन सत्र को लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए अहम बताया है। अध्यक्ष ने उम्मीद जताई कि विधायक जनहित के मुद्दे उठाएंगे, सरकार से स्पष्ट जवाब मांगेंगे और जनता के हित में ठोस सुझाव देंगे। उनके मुताबिक, जब जनता की अपेक्षाएं लगातार बदल रही हैं, तब विधानसभा की कार्यवाही लोगों को भरोसा और स्पष्टता देने का माध्यम बनती है।

स्पेशल मेंशन भी खास भूमिका निभाएंगे
अध्यक्ष ने कहा कि सत्र में नियम 280 के तहत स्पेशल मेंशन भी खास भूमिका निभाएंगे। इनकी संख्या और समय तय होने के कारण विधायक इन्हें बेहद अहम और तात्कालिक मुद्दों को उठाने के लिए इस्तेमाल करेंगे। यहां जिन विषयों को चुना जाएगा, उससे साल 2026 की विधायी प्राथमिकताओं के संकेत मिलेंगे।

तीन दिन का रहेगा प्रश्नकाल
इस शीतकालीन सत्र की एक बड़ी खासियत प्रश्नकाल रहेगा, जो लगातार तीन दिनों तक आयोजित होगा। स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, पानी, परिवहन, वित्त और शहरी विकास जैसे प्रमुख विभागों पर सवाल लगाए जाएंगे। इससे विधायकों को सेवा वितरण से जुड़े मुद्दों पर सरकार को घेरने और समय से जवाब मांगने का मौका मिलेगा। तेजी से बढ़ती आबादी और शहरी दबाव से जूझ रही दिल्ली के लिए सदन में दिए गए जवाब यह संकेत देंगे कि प्रशासन 2026 की चुनौतियों से निपटने के लिए कितना तैयार है।

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