दूसरे आईपीओ की तैयारी में जुटे अंबानी

देश के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी का कारोबारी घराना आने वाले दिनों में शेयर बाजार पर एक के बाद एक धमाके की तैयारियों में लगा हुआ है. इसके तहत पहले तो टेलीकॉम कंपनी रिलायंस जियो का आईपीओ आने वाला है. उसके बाद खुदरा इकाई रिलायंस रिटेल का आईपीओ लाने की भी तैयारियां तेज हो गई है।
हर साल जोड़े जाएंगे 2,000 नए स्टोर
ईटी की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अपने रिटेल बिजनेस के लिए 2028 में आईपीओ लाने का आंतरिक टारगेट तय कर लिया है. देश के सबसे बड़े रिटेलर रिलायंस रिटेल की यह लिस्टिंग जियो के प्रस्तावित आईपीओ के ठीक दो साल बाद आएगी. कंपनी इस बीच कर्ज घटाने, हर साल नेट 2,000 नए स्टोर जोड़ने और क्विक कॉमर्स सेगमेंट में तेजी से हिस्सेदारी बढ़ाने पर पूरा जोर दे रही है, ताकि प्रस्तावित आईपीओ से पहले वैल्यूएशन को अधिकतम किया जा सके ।
.
बंद किए जा चुके गैर-लाभकारी स्टोर
रिपोर्ट के अनुसार, रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अंदरूनी तौर पर तय किया है कि पहले जियो का आईपीओ 2026 में आएगा और उसके ठीक दो साल बाद यानी 2028 में रिलायंस रिटेल की बारी होगी. इसके लिए कंपनी ने पिछले दो साल में गैर-लाभकारी स्टोर बंद करने का बड़ा अभियान पूरा कर लिया है और अब आगे हर साल करीब 2,000 स्टोर नेट आधार पर जोड़े जाएंगे.वित्त वर्ष 2021-22 और 2022-23 में तेजी से स्टोर खोलने के बाद वित्त वर्ष 2023-24 और 2024-25 में हजारों स्टोर बंद किए गए थे, लेकिन अब वह दौर खत्म हो चुका है।
कर्ज में की गई भारी कटौती
कंपनी की ताजा एनुअल रिपोर्ट के अनुसार रिलायंस रिटेल ने कर्ज में भारी कटौती की है. वित्त वर्ष 2024-25 में नॉन-करंट बॉरोइंग घटकर मात्र 20,464 करोड़ रुपए रह गई, जो एक साल पहले वित्त वर्ष 2023-24 में 53,546 करोड़ रुपए थी. इसमें सबसे बड़ी कटौती होल्डिंग कंपनी से लिए गए इंटर-कॉर्पोरेट डिपॉजिट में हुई है, जो 40,164 करोड़ रुपए से कम होकर सिर्फ 5,655 करोड़ रुपए रह गए. बाकी बैंक लोन हैं।
अब बैलेंस शीट और वैल्यूएशन बढ़ाने पर जोर
रिलायंस रिटेल अब क्विक कॉमर्स में भी आक्रामक तरीके से आगे बढ़ रही है. कंपनी रोजाना 10 लाख क्विक कॉमर्स ऑर्डर पूरा कर रही है और 90 फीसदी ऑर्डर 30 मिनट से कम समय में डिलीवर हो रहे हैं. इसके लिए बड़े शहरों में स्मार्ट पॉइंट किराना स्टोर को डार्क स्टोर में बदला जा रहा है. टॉप-7 शहरों में डार्क स्टोर की संख्या तेजी से बढ़ाई जा रही है. कंपनी ने बैलेंस शीट को और मजबूत करने के लिए दिसंबर से अपना एफएमसीजी बिजनेस भी रिलायंस रिटेल से अलग करके सीधे रिलायंस इंडस्ट्रीज की सब्सिडियरी बना दिया है।





