सत्यापन में फर्जी मिली धान की सीधी बिजाई, हिसार में 5134 किसानों ने आवेदन किया

पानी बचाने और पराली जलाने से रोकने के लिए धान की सीधी बिजाई (डीएसआर) को बढ़ावा देने संबंधी योजना में 77 प्रतिशत आवेदन फर्जी मिले हैं। इस योजना के तहत अनुदान राशि पाने के लिए जिले के 5134 किसानों ने आवेदन किया। कृषि विभाग की ओर से सत्यापन के दौरान इनमें से केवल 1170 किसानों के आवेदन ही सही मिले। ऐसे में शेष 3964 आवेदन रद्द कर दिए।
सीधी बिजाई योजना को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग की ओर से किसानों को प्रति एकड़ 4500 रुपये का अनुदान दिया जा रहा है। इस बार 5134 किसानों ने 25107 एकड़ भूमि पर धान की सीधी बिजाई का दावा कर अनुदान हासिल करने के लिए आवेदन किया। कृषि विभाग ने हर खेत का सत्यापन करवाया। इस दौरान सामने आया कि 1170 किसानों का ही 4303 एकड़ भूमि पर धान की सीधी बिजाई का दावा ही सही है। शेष 3964 किसानों का 20804 एकड़ भूमि पर सीधी बिजाई का दावा फर्जी पाया गया।
मौके पर सामान्य बिजाई पाई गई
कृषि विभाग की टीमें जब सत्यापन के लिए खेतों में गई तो देखा कि आवेदन की तुलना में बहुत कम किसानों के ही खेतों में सीधी बिजाई की गई थी। 3964 किसानों के खेतों में सीधी के बजाय सामान्य तरीके से धान की बिजाई पाई गई। अनुदान के लिए फर्जी आवेदन करने वाले ऐसे किसानों को चिह्नित किया गया है।
2021 में शुरू हुई योजना, 30 प्रतिशत पानी की बचत
धान की सीधी बुआई योजना (डीएसआर) वर्ष 2021 में भूजल बचाने और पराली जलाने को रोकने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। पारंपरिक रोपाई के बजाय धान को खेत में सीधे बोने की तकनीक से लगभग 30 फीसदी पानी की बचत होती है। डीएसआर विधि अपनाने पर किसानों को 10-12 हजार रुपये प्रति एकड़ तक की बचत होती है।
जिले में इस बार 3 लाख 13 हजार एकड़ में धान की बिजाई की गई थी, जो अब तक की रिकॉर्ड बुआई थी। गौरतलब है कि सीधी बिजाई सामान्य फसलों की तरह सीधे बीज डालकर की जाती है, जबकि परंपरागत तरीके से बिजाई में पहले पौध तैयार की जाती है और फिर पानी से भरे खेतों में बोया जाता है। इस विधि में पानी की बहुत बर्बादी होती है। साथ ही फसल कटाई के बाद अवशेष जलाने पड़ते हैं।
अधिकारी के अनुसार
डीएसआर के तहत किसानों को प्रोत्साहन राशि दी जाती है। सत्यापन में 5134 आवेदनों में से केवल 1170 ही सही पाए गए। गलत आवेदन रद्द कर दिए गए हैं। -राजबीर सिंह, उप निदेशक, कृषि विभाग।





