डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम ने बिगाड़ा बजट, कर्ज में डूब रहे एमपी समेत ये 12 राज्य

कुछ राज्यों के पिछले विधानसभा चुनावों में महिला मतदाताओं ने सियासी पंडितों के अनुमान गलत साबित कर दिए। इसकी एक बड़ी वजह इन राज्य में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) जैसी लुभावनी योजनाएं मानी जा रही हैं। ये योजनाएं भले ही राजनीतिक पार्टियों के लिए गेम चेंजर साबित हो रही हैं, लेकिन इनका भार राज्यों के कोष पर पड़ रहा है। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2025-26 में इन योजनाओं में 12 राज्यों के करीब 1.68 लाख करोड़ खर्च होंगे। इसमें मध्यप्रदेश, दिल्ली, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के साथ ही कर्नाटक की ‘गृह लक्ष्मी’ और ओडिशा की ‘सुभद्रा योजना’ भी शामिल है।

वोटर टर्नआउट बढ़ा, लेकिन देश की अर्थव्यवस्था पर बढ़ा बोझ
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इन योजनाओं से भले ही वोटर टर्नआउट बढ़ा और घरेलू खर्च भी सुधरा, लेकिन देश की अर्थव्यवस्था पर बोझ बढ़ गया। सिविल्सडेली की रिपोर्ट कहती है कि कैश ट्रांसफर से महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है, लेकिन यह स्थायी नहीं है। सरकार ने फ्रीबीज पर रोक नहीं लगाई तो जीडीपी ग्रोथ बुरी तरह प्रभावत होगी। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआइ) भी फ्रीबीज पर चिंता जता चुका है। हालांकि कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि योजनाओं के दायरे में आने वाली 15 करोड़ से ज्यादा महिलाओं के जीवन में बदलाव आ रहा है। उनमें वित्तीय आजादी का भाव जगा है।

सभी दलों के घोषणा पत्र का हिस्सा बन गई हैं ये योजनाएं
योजनाएं महिला सशक्तीकरण में कितनी कारगर हैं, ये भविष्य का प्रश्न है, फिलहाल पार्टियां इनके भरोसे चुनावी वैतरणी पार करने में लगी हैं। ऐसी योजनाएं लगभग सभी दलों के चुनावी घोषणा पत्र का हिस्सा बन गई हैं। नतीजा राज्यों का बोझ लगातार बढ़ रहा है। पीआरएस इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, 2024-25 में 9 राज्यों ने डीबीटी पर एक लाख करोड़ खर्च किया, जो विकास कार्यों को प्रभावित कर रहा है।

मध्यप्रदेश: लाड़ली बहना योजना- सरकार पर 3,810 करोड़ का अतिरिक्त बोझ
एमपी की इस योजना में 1.26 करोड़ महिलाओं को मासिक 1,500 रुपए दिया जाता है। नवंबर 2025 में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने एक क्लिक से 1,857 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए। वार्षिक अतिरिक्त बोझ 3,810 करोड़ रुपए है, जो राज्य के कर्ज (लगभग 4 लाख करोड़) को और बढ़ा रहा है। यह शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों से फंड हड़प सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button