कहानी गहनों की: क्लियोपेट्रा से नीता अंबानी तक, क्यों ‘पन्ना’ है रुतबे और शाही विरासत का प्रतीक?

बात अगर कीमती गहनों की हो और पन्ना का नाम न लिया जाए, ऐसा तो हो ही नहीं सकता। अपने अनोखे रंग और कीमत के कारण पन्ना सेलेब्रिटीज का पहली पसंद बना हुआ है। लेकिन इसका इतिहास मिस्त्र की क्लीयोपेट्रा से शुरू होता है। आइए जानें कैसे पन्ने के गहने राजा-महाराजाओं से लेकर आज के सेलेब्रिटीज तक के बीच रुतबे और शान के प्रतीक बने हुए हैं।
चाहे राजा-महाराजाओं का दौर रहा हो या आज के समय की बात करें, गहनों का महत्व वैसे ही बरकरार है। सोने, चांदी, हीरे, पोल्की जैसी कई अनमोल रत्नों और धातुओं से गहने बनाए जाते हैं, जिसमें पन्ना भी शामिल है। पन्ना एक ऐसा रत्न है, जिसे दुनियाभर में रुतबे का प्रतीक माना जाता है।
यहीं वजह है कि नीता अंबानी जैसे करोड़पति पन्ने को अपनी जूलरी क्लेक्शन का हिस्सा जरूर बनाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है पन्ने के गहने बनाने की शुरुआत कैसे हुई और असली पन्ने की पहचान कैसे कर सकते हैं? ऐसे ही कई सवालों का जवाब हम हमारी स्पेशल सीरिज कहानी गहनों की में जानेंगे।
पन्ना क्या है?
पन्ना एक बेशकीमती रत्न है, जो हरे रंग के बेरिल खनिज से बनता है। इसमें क्रोमियम और वैनाडियम जैसे तत्व होते हैं, जो इसे प्राकृतिक हरा रंग देते हैं। यह मई महीने का जन्म रत्न माना जाता है और इसे वफादारी, नई शुरुआत, शांति और सुरक्षा का प्रतीक भी माना जाता है।
पन्ना का इतिहास- मिस्र की रानियों से मोगल बादशाहों तक
पन्ने का इतिहास हजारों साल पुराना है। 300 ईसा पूर्व से मिस्र में खनन शुरू हुआ था। क्लियोपेट्रा को पन्ना बेहद पसंद था और वे मिस्र की खानें अपनी संपत्ति मानती थीं। मिस्र में इसे सुरक्षा, उपचार और लंबे जीवन का प्रतीक मानकर शाही कब्रों में भी रखा जाता था। वहीं दूसरी तरफ कोलंबिया के मुजो जनजाति के पास दुनिया के बेहतरीन पन्नों की खदानें थीं, जिन्हें स्पेनिश खोजियों को खोजने में 20 साल लग गए।
भारतीय उपमहाद्वीप में, मुगल काल में पन्नों का महत्व बढ़ा। राजाओं के तलवारों के हत्थों से लेकर पगड़ियों और भारी नेकपीसों तक पन्ना शाही घराने की पहचान बन गया। यूरोप में भी मध्यकाल, रेनेसांस और विक्टोरियन युग में पन्ने के गहने खूब लोकप्रिय हुए।
आज पन्ना दुनिया भर में सेलिब्रिटी और कलेक्टर्स का पसंदीदा रत्न है। एलिजाबेथ टेलर का Bvlgari पन्ना नेकलेस और नीता अंबानी अपने हीरे और पन्ने के नेकलेस अक्सर सुर्खियां बटोरते रहते हैं।
पन्ना इतना खास क्यों है?
दुर्लभता- अच्छे, साफ और चमकीले पन्ने बेहद आसानी से नहीं मिलते। इसलिए इनकी कीमत काफी बढ़ जाती है।
अनोखा हरा रंग- Emerald Green फैशन और डिजाइन की दुनिया में एक खास शेड माना जाता है। पन्ना का हरा रंग उसे फैशन की दृष्टि से भी काफी खास बना देता है।
आध्यात्मिक महत्व- रत्न शास्त्र में इसे स्वास्थ्य, शांति और नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। इसलिए कई लोग पन्ने की अंगूठी या पेंडेंट धारण करते हैं।
शाही इतिहास- फैरो, मुगल सम्राट और यूरोपीय महारानियों सबकी पसंद होने के कारण पन्ने को शाही रत्न माना जाता है और इसकी शान आज भी बरकरार है।
पन्ने के गहने कैसे बनाए जाते हैं?
पन्ना एक नाजुक और प्राकृतिक रूप से ‘इनक्लूजन’ वाला रत्न होता है, इसलिए इसे बहुत सावधानी से काटा और सेट किया जाता है।
कटिंग- पन्ने को सबसे ज्यादा एमारेल्ड कट दिया जाता है, आयताकार, साफ रेखाओं वाला कट जो इस रत्न को सुरक्षित रखता है।
सेटिंग- कटिंग के बाद इसे सोने, चांदी और प्लैटिनम जैसे धातुओं में सेट किया जाता है। भारतीय परंपरा में कुंदन, जड़ाऊ और मीनाकारी सेटिंग्स में पन्ने का इस्तेमाल ज्यादा होता है।
पॉलिशिंग और फिनिशिंग- कई पन्नों में माइक्रो क्रैक्स होते हैं, इसलिए इनमें हल्के तेल का उपयोग किया जाता है ताकि रंग और पारदर्शिता उभरकर आए।
असली और नकली पन्ने की पहचान कैसे करें?
आज बाजार में प्राकृतिक, सिंथेटिक और नकली पन्ने, तीनों मिलते हैं, लेकिन कुछ तरीकों से असली पन्ने की पहचान की जा सकती है-
रंग- असली पन्ने में हल्का कलर वैरिएशन और इंक्लूजन होते हैं। बहुत ज्यादा परफेक्ट, एक जैसे हरे पन्ने अकसर नकली होते हैं।
इंक्लूजन- असली पन्ने के अंदर छोटे-छोटे पैटर्न होते हैं जिसे jardin यानी ‘गार्डन’ कहा जाता है। ज्यादा साफ-सुथरा पन्ना नकली हो सकता है।
ज्वैलर की लैब रिपोर्ट- बिना प्रमाणपत्र के महंगा पन्ना खरीदना जोखिम भरा है। IGI, GIA या SGL जैसी लैब की रिपोर्ट जरूर लें।
पन्ना सिर्फ एक खूबसूरत रत्न नहीं, बल्कि हजारों सालों की शाही विरासत का प्रतीक है। चाहे मिस्र की रानी क्लियोपेट्रा हों, मुगल सम्राट हों या आधुनिक सेलिब्रिटीज पन्ने ने फैशन और इतिहास में अपनी जगह मजबूती से बनाए रखा है।





