इसरो ने ली रहस्यमयी धूमकेतु की पहली तस्वीर

भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला द्वारा ली गई तस्वीरों में धूमकेतु के चारों तरफ गोलाकार कोमा (धूमकेतु का चमकदार बादल) साफ नजर आ रहा है। धूल की पूंछ (डस्ट टेल) अभी सूरज की दिशा में पीछे की तरफ है।
Comet 3I/ATLAS: भारतीय वैज्ञानिकों ने एक बार फिर अंतरिक्ष में कमाल किया है। भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL) के वैज्ञानिकों ने माउंट आबू की 1.2 मीटर दूरबीन से धूमकेतु 3I/ATLAS की शानदार तस्वीरें और स्पेक्ट्रम लिया है। धूमकेतु 3I/ATLAS को C/2025 A11 भी कहा जाता है। धूमकेतु 3I/ATLAS हमारे सौरमंडल के बाहर से आया है। फिलहाल अभी यह सूरज के सबसे नजदीक आने के बाद वापस बाहर की तरफ जा रहा है।
कैसा दिखा धूमकेतु?
भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला द्वारा ली गई तस्वीरों में धूमकेतु के चारों तरफ गोलाकार कोमा (धूमकेतु का चमकदार बादल) साफ नजर आ रहा है। धूल की पूंछ (डस्ट टेल) अभी सूरज की दिशा में पीछे की तरफ है। इसके कारण पृथ्वी से नहीं नजर आ रही है। अगर गहरी और चौड़ी तस्वीरें ली जाएं तो आयन पूंछ दिख सकती है।
स्पेक्ट्रम में मिलीं खास चीजें
वैज्ञानिकों ने 12-15 नवंबर की सुबह-सुबह धूमकेतु का स्पेक्ट्रम (प्रकाश के रंगों का विश्लेषण) किया। इसमें हमारे सौरमंडल के सामान्य धूमकेतुओं जैसे ही चमकदार लाइनें CN (सायनोजन) C2 (डाइकार्बन) C3 पाई गईं। इसका मतलब है कि इस दूसरे तारे से आए धूमकेतु की रासायनिक संरचना हमारे सौरमंडल के धूमकेतुओं से बहुत मिलती-जुलती है।
कैसा है धूमकेतू?
वैज्ञानिकों ने गणना की कि हर सेकंड करीब 10^25 अणु यानी 1 के बाद 25 जीरो गैस के रूप में बाहर आ रहे हैं। इसे प्रोडक्शन रेट कहा जाता है। वैज्ञानिकों ने इसकी तुलना की और उन्होंने पाया कि 3I/ATLAS बिल्कुल सामान्य धूमकेतु है। यह न ज्यादा सक्रिय है और न ही कम।
भविष्य में क्या होगा?
अब यह धूमकेतु रात के अंधेरे भाग में आ रहा है। इसके कारण आने वाले दिनों में और बेहतर तस्वीरें और स्पेक्ट्रम लिए जाएंगे। इससे पता चलेगा कि दूसरे तारों के धूमकेतु हमारे सौरमंडल के धूमकेतुओं से कितने अलग या एक जैसे हैं।
भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला की यह दूरबीन माउंट आबू में गुरुशिखर के पास 1680 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। यहां से एक्सोप्लैनेट, ब्लैक होल और सौरमंडल की वस्तुओं का अध्ययन किया जाता है। भारत में अंतरतारकीय धूमकेतु की यह पहली बड़ी ऑब्जर्वेशन है। भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(इसरो) से जुड़ा हुआ है।





