नाना की मौत पर मांगी छुट्टी… मैनेजर बोला- दुख है पर काम करना पड़ेगा

कर्मचारी के मुताबिक वह पिछले दो साल से एक कंपनी में काम कर रहा है। वह बताता है कि उसकी कंपनी का वर्क कल्चर ऐसा हो गया है कि छुट्टी लेना लगभग गुनाह जैसा महसूस होता है।

यह कहानी आज के कॉर्पोरेट कल्चर की उन सच्चाइयों में से एक है, जिन्हें लोग महसूस तो करते हैं लेकिन बोलने से डरते हैं। एक ऐसी घटना जिसने सोशल मीडिया पर खूब चर्चा बटोरी क्योंकि इसमें एक इम्प्लॉई का दर्द छिपा है। वह दर्द जिसे आजकल हजारों लोग चुपचाप झेल रहे हैं। यह मामला रेडिट से सामने आया, जहां एक कॉर्पोरेट कर्मचारी ने अपने साथ हुई कड़वी हकीकत को शेयर किया और बताया कि कैसे उसकी कंपनी ने उसे इंसान नहीं, बल्कि मशीन समझ रखा है। आइए जानते हैं कि पूरा मामला क्या है।

सोशल मीडिया पर वायरल हुई यह चैट

कर्मचारी के मुताबिक वह पिछले दो साल से एक कंपनी में काम कर रहा है। वह बताता है कि उसकी कंपनी का वर्क कल्चर ऐसा हो गया है कि छुट्टी लेना लगभग गुनाह जैसा महसूस होता है। पोस्ट में उसने लिखा कि क्या मैनेजर्स अपना काम करवाने के लिए अपनी आत्मा बेच देते हैं? क्योंकि उनके लिए बस काम जरूरी है, भले ही सामने वाला कर्मचारी दुख में हो, बीमार हो या किसी निजी समस्या से गुजर रहा हो।

कर्मचारी ने साझा किया अपना दुख

इस पूरी घटना की शुरुआत तब हुई जब कर्मचारी के नाना का निधन हो गया। वह रात काफी भारी थी और नैचुरल था कि वह अगले दिन ऑफिस नहीं जा पाएगा। इसलिए उसने अपने मैनेजर को व्हाट्सऐप पर मैसेज करके पूरी स्थिति बता दी। मैनेजर ने सॉरी फॉर योर लॉस कहा, लेकिन अगले ही मैसेज में बोल दिया कि व्हाट्सऐप पर बने रहना, जरूरत पड़े तो काम भी देख लेना। इस एक मैसेज ने कर्मचारी का दिल तोड़ दिया। वह हैरान था कि क्या एक इंसान की मौत पर भी कर्मचारियों को ऑनलाइन रहना जरूरी है? क्या मैनेजर को ये भी समझ नहीं आता कि इंसान दुख में होता है और किसी अपने की मौत अचानक उस पर मानसिक बोझ डाल देती है?

कर्मचारी ने खोले सारे राज

उसने अपनी पोस्ट में कंपनी की स्थिति भी बताई। कई कर्मचारियों को फंड की कमी बताकर नौकरी से निकाल दिया गया था। लेकिन निकाले गए लोगों का सारा काम बाकी कर्मचारियों के सिर पर डाल दिया गया। उसके रोल भी बदल दिए गए और उसे ऐसे काम दिए जाने लगे जो उसके असली काम के दायरे से बाहर थे। काम इतना बढ़ गया कि दिन-रात बस वही चलता रहा। मीटिंग, फोन कॉल, मैसेज और फिर वही ऑलवेज अवेलेबल रहने का दबाव।

लोगों ने पोस्ट पर किया कमेंट

कर्मचारी ने कहा कि आजकल कंपनियां कर्मचारियों से इतना काम करवा रही हैं कि जैसे वे मशीन हों, जिन्हें बस चार्ज करके चलाना है। कई लोगों ने इस पोस्ट पर कमेंट करते हुए कहा कि ऐसा कल्चर आजकल हर जगह बढ़ता जा रहा है। एक यूजर ने मजाक में लिखा कि “लाला कंपनियां वड़ा पाव की कीमत में पूरा बिजनेस चलाना चाहती हैं।” दूसरे ने कहा कि “अब तो हम सब व्हाट्सऐप पर ही रहते हैं। मेरी कंपनी भी सुनती नहीं। अगर ऑनलाइन न रहो तो ऐसा लगता है जैसे हमने कोई बड़ा अपराध कर दिया हो।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button