उज्जैन: कार्तिक पूर्णिमा पर स्टाप बैराज पर सुरक्षा चूक

यह नजारा कार्तिक पूर्णिमा पर शिप्रा स्नान के दौरान देखने को मिला जहां हजारों लोग थोड़े से समय और दूरी को बचाने के चक्कर में जान जोखिम डालकर स्टाप बैराज से शिप्रा नदी को पार करते नजर आए। शिप्रा स्नान और कार्तिक मेला देखने पहुचे हजारो लोग इस बेराज से आसानी से छोटे छोटे बच्चों को साथ लेकर निकल रहे थे। इस बेराज की स्थिति यह थी कि अगर थोड़ी सी भी धक्का मुक्की होती तो यहां बड़ा हादसा भी हो सकता था।
शिप्रा नदी के छोटे पुल को तोड़ने के दौरान निगम अधिकारियों ने बड़े-बड़े दावे किए थे कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन रामघाट पर श्रद्धालुओं की सुविधा के पूरे इंतजाम किए जाएंगे। वैकल्पिक पुलिया पर भी SDRF की टीम के साथ सुरक्षाकर्मी मौजूद रहेंगे, जोकि पुल से निकलने वाले हजारों लोगों का ध्यान रखेंगे। वहीं, कार्तिक पूर्णिमा के लिए रामघाट के वैकल्पिक पुल पर तो जिम्मेदारों ने सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए थे, लेकिन रामघाट के दूसरे छोर पर शिप्रा नदी के स्टाफ बैराज पर कोई इंतजाम नहीं दिखे। पुल के ऊपर से जान जोखिम में डालकर हजारों की संख्या में श्रद्धालु निकल रहे थे। वहां सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं थे। स्थिति यह थी कि बैराज पर हजारों की संख्या में निकल रहे सरकारों को रोकने वाला कोई नहीं था। यह तो बाबा महाकाल का आशीर्वाद रहा कि इस दौरान कोई दुर्घटना घटित नहीं हुई। अगर भगदड़ जैसी स्थिति बनती तो बड़ा हादसा हो सकता था।
परपंरागत रास्ता बंद होने से भ्रम
रामघाट पर स्नान और कार्तिक मेला में जाने के लिए छोटे पुल का परंपरागत मार्ग इस बार बंद था। इस कारण ग्रामीण क्षेत्र के लोग भटकते रहे। ऐसे में कई लोग कार्तिक मेला की ओर नहीं जा सके या फिर लंबा रास्ता तय कर बड़े पुल से होकर गए। वहीं रामघाट नहीं आ सके लोगों ने दत्त अखाड़ा पर ही स्नान किया। छोटी रपट के बारे में कम लोगों को ही जानकारी थी। वैकल्पिक मार्ग की जानकारी देने के लिए प्रशासन की ओर से कोई व्यवस्था भी नहीं थी।





