इन योग में मनाई जा रही है वैकुंठ चतुर्दशी

04 नवंबर 2025 के अनुसार, आज यानी 04 नवंबर को वैकुंठ चतुर्दशी का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन गंगा स्नान और दीपदान करना शुभ माना जाता है। इससे जीवन में कुशुयों का आगमन होता है।
आज यानी 04 नवंबर को कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि है। हर साल इस शुभ तिथि पर वैकुंठ चतुर्दशी मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने का विधान है। इस दिन गंगा स्नान, दीपदान और मंत्रजप करने से साधकों को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। वैकुंठ चतुर्दशी पर कई योग भी बन रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि इन योग में पूजा करने से दोगुना फल मिलता है। ऐसे में आइए जानते हैं आज का पंचांग के बारे में।
तिथि: शुक्ल चतुर्दशी
मास पूर्णिमांत: कार्तिक
दिन: मंगलवार
संवत्: 2082
तिथि: शुक्ल चतुर्दशी रात्रि 10 बजकर 36 मिनट तक
योग: वज्र दोपहर 03 बजकर 43 मिनट तक
करण: गरज दोपहर 12बजकर 23 मिनट तक
करण: वणिज रात्रि 10 बजकर 36 मिनट तक
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय: प्रातः 06 बजकर 35 मिनट पर
सूर्यास्त: सायं 05 बजकर 34 मिनट पर
चंद्रोदय: सायं 04 बजकर 30 मिनट पर
चन्द्रास्त: 5 नवम्बर को सुबह 04 बजकर 57 मिनट पर
सूर्य राशि: तुला
चंद्र राशि: मीन
पक्ष: शुक्ल
आज के शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त: प्रातः 11 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 26 बजे तक
अमृत काल: प्रातः 10 बजकर 25 बजे से प्रातः 11 बजकर 51 मिनट तक
आज के अशुभ समय
राहुकाल: दोपहर 02 बजकर 49 मिनट से सांय 04 बजकर 11 मिनट तक
गुलिकाल: दोपहर 12 बजकर 04 मिनट से दोपहर 01 बजकर 27 मिनट तक
यमगण्ड: प्रातः 09 बजकर 20 मिनट से प्रातः 10 बजकर 42 मिनट तक
आज का नक्षत्र
आज चंद्रदेव रेवती नक्षत्र में रहेंगे…
रेवती नक्षत्र: दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक
सामान्य विशेषताएं: चतुर, ईमानदार, अध्ययनशील, लचीला, आकर्षक व्यक्तित्व, कूटनीतिज्ञ, चंचल मन, सुंदर, ऐश्वर्यवान, सफल, बुद्धिमान, नैतिक, समृद्ध और विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण
नक्षत्र स्वामी: बुध देव
राशि स्वामी: बृहस्पति देव
देवता: पूसन (पोषणकर्ता)
प्रतीक: मछली
वैकुंठ चतुर्दशी का धार्मिक महत्व
वैकुंठ चतुर्दशी कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की संयुक्त आराधना का प्रतीक है। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु काशी में आकर शिवजी की पूजा करते हैं, जिससे भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन शिवलिंग पर तुलसी और भगवान विष्णु को बिल्वपत्र अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है। व्रत, स्नान, दीपदान और मंत्रजप से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं और जीवन में शांति आती है। यह पर्व वैराग्य, भक्ति और परम कल्याण का संदेश देता है।
वैकुंठ चतुर्दशी पूजा विधि:
प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
पूजन स्थान पर भगवान विष्णु और भगवान शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
सबसे पहले दीप जलाएं और गंगा जल से दोनों देवताओं का अभिषेक करें।
भगवान विष्णु को तुलसी दल, पुष्प, धूप और दीप अर्पित करें।
भगवान शिव को बिल्वपत्र, धतूरा, पुष्प और फल चढ़ाएँ।
“ॐ नमो नारायणाय” तथा “ॐ नमः शिवाय” मंत्रों का जप करें।
दिनभर व्रत रखकर संध्या समय दीपदान करें।
पूजा के अंत में मोक्ष और कल्याण की प्रार्थना करें।





