दिल्ली की प्यास पर कचरे का साया, मुनक नहर बन रही जहर की धारा

राजधानी को रोजाना हजारों लीटर साफ पानी पहुंचाने वाली मुनक नहर का पानी गंदगी की भेंट चढ़ रहा है। खुले में शौच, सड़कों पर बिखरा कचरा, फैक्टरियों का जहरीला पानी और यहां तक कि लावारिस जानवर मिलकर नहर को इतना गंदा कर रहे हैं कि शहर के पेयजल पर संकट खड़ा हो गया है। नई रिपोर्ट में चेताया गया है कि अगर जल्द कदम नहीं उठाए गए तो जल शुद्धिकरण प्लांट भी इस पानी को साफ नहीं कर पाएंगे।

साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स, रिवर्स एंड पीपल (सैंड्रप) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है। रिपोर्ट के अनुसार, 25 अक्तूबर को नहर का जायजा लेने वाली टीम ने हरियाणा से उत्तर-पश्चिम दिल्ली तक फैली इस नहर पर भयानक हालात देखे। रिपोर्ट में फोटो और जगह के नक्शे के साथ सबूत दिए गए हैं, जो रविवार को दिल्ली सरकार, प्रदूषण अधिकारी और जल-स्वास्थ्य मंत्रियों को सौंप दिए गए।

मुनक नहर यमुना का एक हिस्सा है, जो 2003-2012 के बीच बनी। यह दो मुख्य नहरों कैरियर लाइन चैनल (सीएलसी) और दिल्ली सब ब्रांच (डीएसबी) के जरिये रोज 1,000 क्यूसेक से ज्यादा पानी दिल्ली लाती है। रखरखाव की के अभाव में यह शहर की जल आपूर्ति का दुश्मन बन गई है। सैंड्रप के सह-समन्वयक भीम सिंह रावत ने बताया कि कई जगहों से गंदगी आ रही है, जो सीधे पीने के पानी में घुल रही है। शुद्धिकरण प्लांट भी इस दूषित पानी को पूरी तरह साफ नहीं कर पाते हैं। ऐसे में लोग बीमार पड़ सकते हैं। रिपोर्ट में नहर से थोड़ी दूरी पर कचरा संग्रहण केंद्र बनाने की भी सिफारिश की गई है, ताकि लोग सीधे पानी में कचरा न डालें।

बवाना में सबसे बुरा हाल
बवाना के पास पुलों के नीचे ”बहुत ज्यादा गंदगी मिली। यहां पूजा का सामान, प्लास्टिक और कचरे के ढेर नहर में गिर रहे हैं। झुग्गी-झोपड़ियों के पास लोग कचरा अलग कर रहे हैं, जो सीधे पानी में बह जा रहा। ऊपर से बिजली के तार जलाकर तांबा निकालने की प्रथा से राख नहर में गिर रही। फैक्ट्रियों का कचरा जलाने के धुएं से हवा-पानी दोनों जहरीले हो रहे। रिपोर्ट में साफ लिखा है कि नहर के किनारे और अंदर ताजा गोबर-मल के निशान दिखे।

क्या करे सरकार?
होमगार्ड की गश्त, सीसीटीवी कैमरे, अच्छी लाइटिंग, पुलों पर बैरिकेड की जाए और कचरा डंपिंग साइट नहर से दूर किया जाए
नियमित चेकअप, दिल्ली जल बोर्ड, प्रदूषण समिति और लोकल बॉडीज का साथ होना जरूरी है
सरकारी सख्ती के साथ लोगों की भागीदारी से ही यह संकट टल सकता है। नहर में कचरा डालने की आदत छोड़नी होंगी

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