इंदौर में निगमायुक्त के सरकारी बंगले के कायाकल्प पर उठने लगे सवाल

इंदौर में निगमायुक्त के रेसीडेंसी कोठी स्थित बंगले की मरम्मत व सौदर्यीकरण हो रहा है। सूत्रों के अनुसार इसके लिए न औचपारिक स्वीकृति ली गई और न ही टेंडर प्रक्रिया अपनाई गई है। यह काम निगम के ही कुछ अफसरों की देखरेख में हो रहा है।

इंदौर में प्राॅपर्टी टैक्स के लिए सख्ती से सर्वे कराने का आदेश देने वाले नगर निगम आयुक्त दिलीप सिंह अब पार्षदों व जनप्रतिनिधियों के निशाने पर आ गए। थाने में उनके खिलाफ नारे लगाए गए और अब उनके सरकारी आवास के कायाकल्प पर भी सवाल उठने लगे है। इसे लेकर भी निगमायुक्त से नाराज तबके ने शिकायत की है।

जब भी इंदौर में अफसर तबादला होकर इंदौर आते है तो वे अपने सरकारी आवास की मरम्मत कराते है। इस काम के लिए भी टेंडर प्रक्रिया अपनाई जाती है। इंदौर में निगमायुक्त के रेसीडेंसी कोठी स्थित बंगले की मरम्मत व सौदर्यीकरण हो रहा है। सूत्रों के अनुसार इसके लिए न औचपारिक स्वीकृति ली गई और न ही टेंडर प्रक्रिया अपनाई गई है। यह काम निगम के ही कुछ अफसरों की देखरेख में हो रहा है। आको बता दे कि नगर निगम के दो सरकारी आवास यशवंत रोड क्लब क्षेत्र में है, लेकिन बीते चार वर्षों से इन आवासों को छोड़कर अब मेयर व निगमायुक्त रेसीडेंसी कोठी के रहते आ रहे है।

मुख्यमंत्री तक पहुंचा मामला

इंदौर में टैक्स को लेकर हुए सर्वे का विवाद मुख्यमंत्री मोहन यादव तक भी पहुंचा है। उन्होंने मामला शांत करने की जिम्मेदारी मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को दी थी। उन्होंने बैठक लेकर अफसरों को कहा कि प्राॅपर्टी टैक्स का सर्वे नहीं कराया जाए। मुख्यमंत्री सोमवार को इंदौर में आ रहे है। उनके समक्ष भी टैक्स के मामले में अफसरों के रवैए की शिकायत करने की तैयारी जनप्रतिनिधियों ने की है

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