वैशाली में लालू परिवार की रोचक जंग, विकास के मुद्दे पर मतदाता करेंगे फैसला

बिहार के वैशाली जिले की राघोपुर और महुआ विधानसभा सीटों पर लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी और तेज प्रताप यादव मैदान में हैं। दोनों अलग-अलग पार्टियों से चुनाव लड़ रहे हैं, जिससे वोटों का विभाजन हो सकता है और चुनाव रोमांचक बन गया है। जनता अब केवल परिवार या पार्टी के नाम पर नहीं, बल्कि विकास और कार्यान्वयन पर अपना फैसला देगी।

बिहार के वैशाली जिले की राजनीति इस बार बेहद दिलचस्प मोड़ पर है। यहां की दो विधानसभा सीटों राघोपुर और महुआ पर लालू प्रसाद यादव के दोनों बेटे तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव मैदान में हैं। भले ही दोनों अलग-अलग पार्टी से अलग-अलग सीटों पर मैदान में हैं, लेकिन एक-दूसरे के वोट काटने की आशंका से चुनाव रोचक बन गया है।

राघोपुर सीट लालू परिवार का गढ़ मानी जाती है। तेजस्वी का मुकाबला भाजपा के सतीश यादव और बड़े भाई तेज प्रताप की पार्टी जनशक्ति जनता दल के उम्मीदवार प्रेम कुमार से है। चर्चा है कि तेज प्रताप का उम्मीदवार वोटों को विभाजित कर सकता है और यह भाजपा के लिए मौका भी बना सकता है। वहीं, जनता विकास की धीमी गति और अधूरी परियोजनाओं से नाराज है। सड़कें टूटी हैं, बिजली और स्वास्थ्य सुविधाएं अब भी अधूरी हैं।

वहीं, महुआ सीट पर तेज प्रताप यादव को मौजूदा राजद विधायक मुकेश रोशन और एनडीए उम्मीदवार संजय सिंह से कड़ी चुनौती मिल रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि शिक्षा संस्थान अधूरे हैं, जल निकासी की समस्या ज्यों की त्यों है और सड़कें खराब हैं। कई योजनाएं पूरी तरह लागू नहीं हो सकी हैं। राघोपुर और महुआ में यह चुनाव केवल लालू परिवार की अंदरूनी लड़ाई तक सीमित नहीं है। यह जनता के लिए विकास और कार्यान्वयन पर आधारित निर्णायक चुनाव बन गया है।
वैशाली जिले की कुल आठ विधानसभा सीटों में हाजीपुर से भाजपा के अवधेश सिंह और राजद के देवकुमार चौरसिया, लालगंज से भाजपा के संजय कुमार सिंह और राजद की शिवानी शुक्ला, वैशाली से जदयू के सिद्धार्थ पटेल और राजद के अजय कुमार कुशवाहा मैदान में हैं। राजापाकर (अजा) से जदयू के महेंद्र राम और कांग्रेस की प्रतिमा कुमारी, महनार से जदयू के उमेश सिंह कुशवाहा और राजद के रविन्द्र कुमार सिंह और पातेपुर (अजा) से राजद की प्रेमा चौधरी और भाजपा के लखेंद्र कुमार रोशन ताल ठोक रहे हैं।

पिछली बार बराबरी पर
पिछले विधानसभा चुनाव में महागठबंधन और एनडीए ने वैशाली की आठ विधानसभा सीटों में से 4-4 पर जीत दर्ज की थी। हालांकि इस बार अधिकांश सीटों पर विकास और कार्यान्वयन की धीमी गति मतदाताओं के फैसले को प्रभावित कर सकती है।

सड़क-बिजली प्रमुख मुद्दा
स्थानीय लोगों का कहना है कि अब वोट केवल परिवार या पार्टी के नाम पर नहीं, बल्कि प्रत्याशी के कामकाज और विकास पर आधारित होंगे। अधूरी सड़कें, बिजली और पानी की समस्या और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी प्रमुख मुद्दे हैं। यहां 6 नवंबर को मतदान होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button