दीवाली पर मां लक्ष्मी को चढ़ाएं ये दिव्य भोग

दीपावली का पर्व 20 अक्टूबर आज यानी कार्तिक अमावस्या को मनाया जाएगा। यह दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन लक्ष्मी पूजा करने से जीवन में कभी धन और दौलत की कमी नहीं होती है, तो आइए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं –
दीपावली का पर्व इस साल 20 अक्टूबर यानी आज के दिन मनाया जा रहा है। यह कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि को मनाया जाएगा। यह दिन माता लक्ष्मी और प्रथम पूज्य भगवान गणेश की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है। इस दिन लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल में करना बहुत शुभ माना जाता है, तो आइए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।
लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त – शाम 07 बजकर 08 मिनट से रात 08 बजकर 18 मिनट तक।
प्रदोष काल – शाम 05 बजकर 46 मिनट से रात 08 बजकर 18 मिनट तक।
मां लक्ष्मी के भोग
मखाने की खीर – माता लक्ष्मी को मखाना बहुत प्रिय है। ऐसे में उन्हें चावल, दूध, चीनी, केसर और मेवों से बनी मखाने की खीर जरूर चढ़ाएं। इससे घर में धन और समृद्धि बनी रहेगी।
खील और बताशे – दीपावली के भोग में खील और बताशे का विशेष महत्व है। इनका भोग लगाने से घर में धन-धान्य की कमी नहीं रहती है और जीवन में शुभता आती है।
गन्ना – इस दिन मां लक्ष्मी को गन्ना अर्पित करना भी शुभ माना जाता है।
सिंघाड़ा – सिंघाड़ा भी माता लक्ष्मी के प्रिय भोगों में से एक हैं। ऐसे में इसे प्रसाद में जरूर शामिल करें।
सफेद मिठाई – दूध से बनी मिठाई मां लक्ष्मी को चढ़ाने से घर में खुशहाली आती है। साथ ही जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
लक्ष्मी पूजन सामग्री
भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की प्रतिमा।
लाल या पीला आसन बिछाने के लिए वस्त्र।
पंचामृत सामग्री।
लाल चुनरी, सिंदूर, कुमकुम, हल्दी, मेहंदी, बिंदी, चूड़ी, कलश आदि।
कमल का फूल, गुलाब, गेंदा और फूलों की माला।
अक्षत, सुपारी, पान के पत्ते, लौंग, इलायची, धूप, दीप, घी, कपूर, कलावा, गंगाजल।
कौड़ी, गोमती चक्र, धनिया के बीज, और चांदी के सिक्के।
लक्ष्मी-गणेश को अर्पित करने के लिए नए वस्त्र और जनेऊ।
मां लक्ष्मी पूजन मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा॥
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः॥
ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥