हरियाणा पुलिस को डीजीपी ओपी सिंह का संदेश: लोकतंत्र में संवाद और संयम जरूरी

हरियाणा पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह बताया कि अकादमी में जल्द ही शॉर्ट-टर्म कोर्स ऑन क्राउड मैनेजमेंट शुरू किया जाएगा, जिसमें यह सिखाया जाएगा कि क्राउड (भीड़) और मॉब (उत्तेजित भीड़) में क्या अंतर होता है और हिंसक स्थिति को शांतिपूर्वक कैसे नियंत्रित किया जाए।

देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था जनता की भागीदारी और उसकी आवाज़ से संचालित होती है। यही कारण है कि हर नागरिक को अभिव्यक्ति, प्रदर्शन और विरोध का संवैधानिक अधिकार प्राप्त है। लेकिन इन अधिकारों के साथ अनुशासन और जिम्मेदारी भी जुड़ी है। कानून-व्यवस्था के संचालन में जुटे पुलिसकर्मियों को इस संतुलन को समझना और बनाए रखना बेहद जरूरी है। यह संदेश हरियाणा पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने पत्र लिखकर जारी किया हैl

एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुलिस अकादमी में प्रशिक्षण ले रहे अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि अहिंसा और संवाद लोकतंत्र की आत्मा हैं। उन्होंने कहा, लाठी और बल प्रयोग अंग्रेजों की नीति थी, जहां शासन का उद्देश्य दमन था। आज का भारत लोकतांत्रिक है यहां जनता हमारी अपनी है, और हमारा काम है उन्हें नियमों के अनुरूप चलने के लिए प्रेरित करना।

अधिकारी ने प्रशिक्षुओं से कहा कि वे क्राउड-होल्डिंग यानी भीड़ से संवाद की कला सीखें। उन्होंने कहा, यदि आप समाज और युवाओं के साथ जुड़ेंगे, उन्हें सही रास्ता दिखाएंगे, तो व्यवस्था सुचारू रूप से चलेगी। भीड़ के मनोविज्ञान को समझना, संवाद करना और संयम रखना ही असली कौशल है।

उन्होंने बताया कि अकादमी में जल्द ही शॉर्ट-टर्म कोर्स ऑन क्राउड मैनेजमेंट शुरू किया जाएगा, जिसमें यह सिखाया जाएगा कि क्राउड (भीड़) और मॉब (उत्तेजित भीड़) में क्या अंतर होता है और हिंसक स्थिति को शांतिपूर्वक कैसे नियंत्रित किया जाए।

अधिकारी ने असामाजिक तत्वों को लेकर भी सतर्क किया। उन्होंने कहा, कुछ लोग व्यक्तिगत या बाहरी स्वार्थ के लिए आंदोलनों और सभाओं का दुरुपयोग करते हैं। ऐसे तत्वों की पहचान और कानूनन कार्रवाई आवश्यक है, ताकि समाज में शांति और व्यवस्था बनी रहे।

अपने संदेश के अंत में अधिकारी ने उर्दू शायर हबीब जालिब का शेर सुनाया कि
तुमसे पहले जो यहाँ तख़्त-नशीं था, उसने भी अपने ख़ुदा होने का दावा किया था…
उन्होंने कहा कि यह शेर याद दिलाता है कि शासन जनता का है, जनता के लिए है और पुलिस, इसी शासन की सबसे मजबूत कड़ी है।

अधिकारी ने प्रशिक्षुओं से अपील की कि वे अपने व्यवहार में विनम्रता, धैर्य और जिम्मेदारी बनाए रखें। उनका काम केवल कानून लागू करना नहीं, बल्कि समाज में शांति और विश्वास बनाए रखना है।

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