13.50 करोड़ से लावारिस कुत्तों की नसबंदी का काम होगा तेज

एमसीडी ने राजधानी में लावारिस कुत्तों की बढ़ती संख्या को नियंत्रित करने के लिए बंध्याकरण (नसबंदी) और टीकाकरण कार्यक्रम तेज करने का निर्णय लिया है। इसके लिए 13.50 करोड़ रुपये खर्च करने की प्रशासनिक स्वीकृति मिली है। यह राशि उन 20 पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) केंद्रों को दी जाएगी, जहां 20 गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) इस काम में लगे हैं। एमसीडी ने इस बार इन संस्थाओं की जवाबदेही तय करने के लिए माइक्रोचिप लगाने और सीसीटीवी निगरानी की प्रणाली लागू करने का फैसला किया है।

एमसीडी के अनुसार, अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 के बीच 1,20,264 कुत्तों का बंध्याकरण और टीकाकरण किया गया था। इसके लिए एनजीओ को भुगतान कर दिया गया, लेकिन मार्च से जून 2025 की अवधि का लगभग 4.26 करोड़ रुपये का भुगतान अभी लंबित है। इस अवधि में 42,761 कुत्तों का बंध्याकरण किया गया था। एमसीडी ने तय किया है कि अप्रैल 2025 से फरवरी 2026 के बीच 20 एबीसी केंद्रों में लगभग 1.35 लाख कुत्तों का बंध्याकरण और प्रतिरक्षीकरण किया जाएगा। इसके 13.50 करोड़ रुपये बजट का प्रावधान किया है। वर्ष 2025-26 के बजट में लेखा शीर्ष 121-1270 के अंतर्गत 15 करोड़ रुपये इस कार्यक्रम के लिए पहले से आवंटित हैं।

माइक्रोचिप और सीसीटीवी से निगरानी
पशु जन्म नियंत्रण निगरानी समिति की बैठक में यह पाया गया कि कई क्षेत्रों में बंध्याकरण के बावजूद कुत्तों की संख्या बढ़ रही है। इससे कार्यक्रम की प्रभावशीलता पर सवाल उठे। इस कारण एमसीडी ने तय किया है कि हर नसबंद कुत्ते में माइक्रोचिप लगाई जाएगी, ताकि उनकी पहचान डिजिटल रूप से दर्ज हो सके। वहीं एबीसी केंद्रों की गतिविधियों पर सीसीटीवी निगरानी अनिवार्य की जाएगी और किसी क्षेत्र में बंध्याकरण के बाद नए जन्म पाए जाते हैं, तो संबंधित एनजीओ पर कार्रवाई होगी और वार्षिक भुगतान का एक हिस्सा काटा जाएगा।

एनजीओ पर वित्तीय दंड की व्यवस्था
एमसीडी ने जवाबदेही तय करने के लिए दंडात्मक प्रावधान भी जोड़े हैं। इसके तहत किसी क्षेत्र में रेबीज से हताहत का मामला सामने आता है, तो संबंधित एनजीओ के वार्षिक भुगतान से 10 प्रतिशत राशि काटी जाएगी। मादा कुत्तों के बंध्याकरण को प्राथमिकता दी जाएगी।

नई एजेंसियों के लिए मौका
एमसीडी ने संकेत दिया है कि इच्छुक एजेंसियों को इस कार्यक्रम में भाग लेने का अवसर दिया जाएगा। वे पूरी परियोजना के रूप में बोली लगाकर 20 केंद्रों के संचालन, रखरखाव और अतिरिक्त ढांचा निर्माण के प्रस्ताव दे सकती हैं।

अब स्मार्ट बनेगा डॉग कंट्रोल प्रोग्राम : सत्या शर्मा
एमसीडी की स्थायी समिति की अध्यक्ष सत्या शर्मा का कहना है कि दिल्ली में एबीसी कार्यक्रम पर हर साल करीब 13 करोड़ रुपये खर्च होते हैं, परंतु अब तक निगरानी व्यवस्था कमजोर थी। माइक्रोचिप और कैमरा प्रणाली लागू होने से अब परिणामों की सटीक निगरानी संभव होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button