अंबाला: एयरफोर्स स्टेशन कई बड़े वायुवीरों की रहा कर्मभूमि

वर्ष 1965 और 1971 के युद्ध में, अंबाला के विमानों ने पाकिस्तान के खिलाफ पश्चिमी सैन्य अभियानों में निर्णायक भूमिका निभाई थी। दोनों ही युद्धों में, पाकिस्तानी वायुसेना (पीएएफ) की ओर से हवाई क्षेत्र पर बमबारी की गई थी लेकिन कोई खास नुकसान नहीं हुआ था।

अंबाला एयरफोर्स स्टेशन देश के सबसे पहले स्थापित किए गए एयरफोर्स स्टेशनों में से एक है। 106 वर्ष से भी पुराना अंबाला एयरफोर्स स्टेशन रणनीतिक रूप से हमेशा से ही महत्वपूर्ण रहा, इसके साथ ही वायु सेना के कई बड़े अफसरों की कर्मभूमि भी रहा है। इतना ही नहीं, वर्ष 1965 और 1971 में पाकिस्तान ने अंबाला के एयरफोर्स स्टेशन को निशाना बनाने की कोशिश की पर हर बार मुंह की खाई।

वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध में अंबाला एयरफोर्स स्टेशन से ही ऑपरेशन सफेद सागर में मिराज ने उड़ान भरी थी और पाकिस्तानी घुसपैठियों को भगा दिया था। इतना ही नहीं बालाकोट एयर स्ट्राइक और बताते हैं कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी अंबाला एयरफोर्स स्टेशन ने अपनी सक्रिय सहभागिता दिखाई। अंबाला में तैनात राफेल लोगों के लिए गर्व का विषय भी बने हुए हैं।

पाकिस्तान ने एयरफोर्स स्टेशन के समीप चर्च पर गिराया था बम
वर्ष 1965 और 1971 के युद्ध में, अंबाला के विमानों ने पाकिस्तान के खिलाफ पश्चिमी सैन्य अभियानों में निर्णायक भूमिका निभाई थी। दोनों ही युद्धों में, पाकिस्तानी वायुसेना (पीएएफ) की ओर से हवाई क्षेत्र पर बमबारी की गई थी लेकिन कोई खास नुकसान नहीं हुआ था। 1965 में, पाकिस्तानी वायुसेना के एक बी-57 बमवर्षक ने एक बम गिराया था जो हवाई क्षेत्र से सटे सेंट पॉल चर्च पर गिरा था।

हवाई क्षेत्र और रनवे सुरक्षित रहे। वर्ष 1971 के युद्ध के दौरान, फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों की 18वीं स्क्वाड्रन अंबाला में तैनात थी, जबकि एक टुकड़ी ऑपरेशन के लिए श्रीनगर में तैनात थी। इसी के दौरान सेखों को पाकिस्तानी वायुसेना के हवाई हमले के खिलाफ श्रीनगर हवाई क्षेत्र की रक्षा के लिए मरणोपरांत भारतीय वायुसेना का एकमात्र परमवीर चक्र प्रदान किया गया था।

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