बिहार चुनाव 2025: पलायन, एसआईआर बनाम नकद तोहफे की जंग के बीच निकलेगा सत्ता का रास्ता…

बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार भी मुकाबला राजग और महागठबंधन के बीच है। महागठबंधन पलायन, बेरोजगारी और एसआईआर में गड़बड़ी को मुद्दा बना रहा, जबकि राजग नीतीश सरकार की योजनाओं और नकद लाभ के भरोसे वोट साधने में जुटा है। सीएम महिला रोजगार योजना समेत कई योजनाओं के जरिए सरकार ने करोड़ों महिलाओं व गरीबों को आर्थिक लाभ पहुंचाया है।

बिहार में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। पिछले कई चुनावों की तरह इस बार भी मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और राजद की अगुवाई वाले विपक्षी महागठबंधन के बीच माना जा रहा। चुनाव तारीखों की घोषणा के साथ पक्ष-विपक्ष दोनों की राजनीतिक सरगर्मियां भी तेज हो गई हैं। माना जा रहा है कि इस बार सत्ता की जंग में पलायन, एसआईआर और नकद तोहफों की बारिश जैसे मुद्दे महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

विपक्षी महागठबंधन पलायन, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के साथ-साथ मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) में कथित गड़बड़ी को बड़ा मुद्दा बनाकर सत्ता हासिल करने की उम्मीद कर रहा है। वहीं, सत्तारूढ़ गठबंधन ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुशासन, कल्याणकारी योजनाओं के तहत नकद तोहफों के सहारे सत्ता विरोधी लहर से उबरने की रणनीति बनाई है। नकद तोहफे के जरिए राजग की कोशिश आधी आबादी के साथ-साथ गरीब वर्ग को भी साधे रखने की है।

चुनाव से पहले ही नीतीश सरकार ने नकद तोहफे की भरमार कर दी थी। पहले इसे आधी आबादी पर केंद्रित रखा जाता था लेकिन इस बार पूरी आबादी को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। मसलन सरकार ने सीएम महिला रोजगार योजना के तहत 1.20 करोड़ महिलाओं के खाते में 10-10 हजार रुपये पहुंचाए। करीब सवा दो करोड़ आंगनबाड़ी सेविकाओं, सहायिका के भत्ते में क्रमश: 2000 और 500 रुपये की बढ़ोत्तरी की गई। सरकारी सेवाओं में आधी आबादी के लिए आरक्षण का दायरा बढ़ाकर 35 फीसदी कर दिया।

पेंशन बढ़ाई, बेरोजगार युवाओं को दिया भत्ता
इसके अलावा सवा करोड़ लोगों के सामाजिक सुरक्षा योजना पेंशन की राशि 400 से बढ़ाकर 1100 कर दी। दो लाख गृह वाहिणी के प्रतिदिन के भत्ते में 377 रुपये के अलावा रसोइयों, विकास मित्र, शिक्षा सेवकों के भत्ते में बढ़ोत्तरी की। सभी परिवारों को 125 यूनिट मुफ्त बिजली का तोहफा दिया। स्नातक बेरोजगार युवकों को दो साल तक हर महीने 1 हजार रुपये, नए पंजीकृत वकीलों को हर महीने पांच हजार, स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना को ब्याज मुक्त, आर्थिक रूप से कमजोर कलाकारों के लिए हर महीने तीन हजार रुपये की पेंशन और सभी तरह की छात्रवृत्तियों में बढ़ोत्तरी का तोहफा भी दिया।

एम-वाई के दायरे से बाहर आने की कोशिश में महागठबंधन
राजद की अगुवाई वाला विपक्षी महागठबंधन बीते चुनाव में जीत के मुहाने तक पहुंच गया था। चुनाव में उसे सत्तारूढ़ राजग के मुकाबले महज 11150 (0.3 फीसदी) वोट कम मिले थे। इस बार राजद की कोशिश है कि खुद को एम-वाई (यादव-मुस्लिम) के दायरे तक ही सीमित न रहने थे। बल्कि इससे बाहर भी विस्तार करे।

इन मुद्दों को भी होगी भुनाने की कोशिश
कानून-व्यवस्था:
विपक्ष राज्यभर में कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर गाहे-बगाहे राजग पर निशाना साधता रहा है। हालांकि, नीतीश सरकार का कहना है कि स्थिति नियंत्रण में है। ईसी को कम चरणों में मतदान का सुझाव देने के पीछे राजग ने यही तर्क दिया था।

बिहार को विशेष दर्जा:
सीएम नीतीश लंबे समय से बिहार को विशेष दर्जा देने की मांग करते रहे हैं लेकिन विपक्ष इस मुद्दे का इस्तेमाल राजग पर हमले के लिए कर सकता है। विपक्ष का तर्क है कि केंद्र में जदयू के भाजपा के साथ गठबंधन के बावजूद यह मांग पूरी नहीं हुई है।

आरक्षण:
राजग और इंडिया ब्लॉक दोनों ही राज्य में जाति गणना के बाद वंचित समुदायों के लिए बढ़े आरक्षण का श्रेय लेते हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तरफ से राष्ट्रीय स्तर पर जाति गणना की मांग से इस चुनावों में मंडल बनाम कमंडल का नैरेटिव एक बार फिर उभर सकता है।

राजग की ताकत
राज्य में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले नीतीश कुमार की सुशासन वाली छवि, व्यक्तिगत स्तर पर कोई दाग नहीं n भाजपा और जदयू का संगठित कैडर आधार, जिसमें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद जैसे आरएसएस से जुड़े संगठनों का समर्थन भी शामिल है। n प्रधानमंत्री मोदी का सशक्त और स्वीकार्य चेहरा, चिराग पासवान का राजग से जुड़े रहना, उपेंद्र कुशवाहा की राजग में वापसी

कमजोरी
सीएम नीतीश के स्वास्थ्य को लेकर लगातार अटकलें जारी रहना और कई वर्षों से कुर्सी पर होने की वजह से सत्ता विरोधी लहर। n सरकार के कई मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप, स्थानीय सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार के ममले सामने आना।

महागठबंधन की ताकत
राजद का मजबूत एमवाई जनाधार, जो कुल मतदाताओं का लगभग 30 प्रतिशत है, और युवाओं में सरकार के प्रति बढ़ती नाराजगी n राजद संस्थापक लालू यादव के पीछे हटने के बाद निर्विवाद नेता के तौर पर सामने आए उनके बेटे तेजस्वी यादव की युवाओं के बीच लोकप्रियता। n राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की मतदाता अधिकार यात्रा ने राज्य भर में पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश का नया संचार।

कमजोरी
काफी समय तक सत्ता से बाहर रहने के कारण पार्टी के भीतर महत्वाकांक्षी नेताओं को एकजुट रखना महागठबंधन के लिए एक प्रमुख चुनौती है। n नीतीश के कद के किसी परिपक्व नेता का अभाव, सीट बंटवारे पर अंदरूनी कलह, सीमांचल में ओवैसी का असर और लालू परिवार की दागदार छवि।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button