केंद्र का बड़ा फैसला: पशुओं में इस्तेमाल होने वाली 34 दवाओं पर प्रतिबंध

केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग ने पशुओं में इस्तेमाल होने वाली 34 दवाओं के निर्माण, आयात व बिक्री पर रोक लगा दी है। इनमें 15 एंटीबायोटिक्स, 18 एंटी वायरल और एक एंटीप्रोटोजोल्स दवा शामिल है।
यह प्रतिबंध अंडा देने वाले पक्षियों, दुधारू पशुओं, मवेशियों, भैंसों, भेड़ों, बकरियों, सुअरों और मधुमक्खियों पर लागू होगा। अब इन दवाओं के इस्तेमाल करते हुए कोई पाया गया तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस संबंध में हरियाणा के खाद्य एवं औषधि प्रसाधन विभाग की ओर से केमिस्ट शॉप, दवा निर्माताओं और जिला ड्रग इंस्पेक्टरों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग ने पाया कि पशु पालक अक्सर इन दवाइयों का इस्तेमाल पशुओं में संक्रमण, जानवरों की भूख और दूध की क्षमता बढ़ाने में किया जा रहा है। मांस, दूध व अन्य डेयरी उत्पाद खाने से इन दवाओं का असर लोगों के शरीर के अंदर जा रहा है।
दरअसल बैन की गई कई दवाइयां लोग अपने रोगों के लिए इस्तेमाल करते हैं। इससे उनके अंदर भी दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बन रही है। कई बीमारियों के इलाज पर दवाएं असर नहीं कर रही हैं। इनमें मुख्य रूप से यूरिडोपेनिसिलिन, सेफ्टोबिप्रोल, सेफ्टारोलाइन, साइडरोफोर सेफलोस्पोरिन, कार्बापेनेम्स, पेनेम्स, मोनोबैक्टम, ग्लाइकोपेप्टाइड्स, लिपोप्टाइड्स, ऑक्साजोलिडिनोन्स, फिडैक्सोमिसिन, प्लाजोमिसिन, एरावासाइक्लिन और ओमाडासाइक्लिन शामिल हैं। वहीं, एंटी वायरल में अमैंटाडाइन, बालोक्साविर मार्बोक्सिल, फेविपिराविर, गैलिडेसिविर, लैक्टिमोडोमाइसिन, लैनिनामिविर, मेथिसाज़ोन, मोलनुपिराविर, ओसेल्टामिविर, रिबाविरिन सहित समेत 18 एंटीवायरल दवाएं शामिल हैं। इसके अलावा, एंटीप्रोटोजोल्स में नाइटाजोक्सानाइड दवा शामिल है। केंद्र सरकार इस बारे में 22 मई को अधिसूचना जारी की थी और लोगों से इस पर आपत्ति व सुझाव मांगे गए थे। मगर इस दौरान जनता से न कोई आपत्ति आई और न ही सुझाव। इसलिए अब केंद्र सरकार ने इन दवाओं पर पूर्णता: प्रतिबंध लगाने के निर्देश जारी किए हैं।
तीन साल की सजा का प्रावधान
हरियाणा के ड्रग कंट्रोलर ललित गोयल ने बताया, इस संबंध में हरियाणा के सभी केमिस्ट शॉप और ड्रग इंस्पेक्टरों को दिशा-निर्देश जारी किए जा चुके हैं। प्रतिबंध के बावजूद यदि कोई इन दवाओं का इस्तेमाल करता पाया गया तो इसमें तीन साल की सजा व जुर्माना का प्रावधान है। पशुओं में उपयोग के लिए इन दवाओं के सुरक्षित विकल्प बाजार में उपलब्ध हैं।